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विधि-विधान से संस्कार न करने पर
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया है कि जिस व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई है, उसका संस्कार विधि-विधान से की जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो व्यक्ति को पितृदोष लगता है.
पितरों के नाम से गलत काम
महाराज जी ने बताया है कि जो व्यक्ति पितरों के नाम का गलत इस्तेमाल करता है, उनके नाम से पाप कर्म करता है तो पितृदोष लगता है. यह कभी दूर नहीं होता है.
माता-पिता का अपमान करने पर
जो व्यक्ति अपने माता-पिता या घर के बुजुर्गों का अपमान करता है. उसको पितृदोष के कारण होने वाले परिणामों को भुगतना पड़ेगा. वहीं अगर बुजुर्गों के उपकारों को नहीं माना जाता है तो यह भी बुरा परिणाम प्रदर्शित करता है.
पितरों का जरूर करें श्राद्ध
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया है कि जो व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्धकर्म या तर्पण के काम और धार्मिक अनुष्ठानों को नहीं करता है तो उन्हें पितृदोष के परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
गौ हत्या करने वाले
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक जो व्यक्ति गौ हत्या का पाप कर्म करता है या उसमें सहभागिता निभाता है उस इंसान को पितृदोष के नतीजे भुगतने ही पड़ते हैं.
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