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कर्म की महत्ता
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि सफलता के लिए कर्म की महत्ता होती है. लक्ष्य हासिल करने के लिए कर्म करना बेहद जरूरी होता है. जो इंसान सिर्फ भाग्य पर ही निर्भर रहता है उसे कुछ नहीं मिलता है, क्योंकि कर्म ही आपका भाग्य निर्धारित करता है.
धैर्य और समर्पण का भाव
प्रेमानंद जी के मुताबिक, सफलता हासिल करने के लिए इंसान में धैर्य और समर्पण का भाव होना बहुत जरूरी होता है. अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग असफल हो जाते हैं तो हार मान लेते हैं और फिर से प्रयास करना बंद कर देते हैं. लेकिन लक्ष्य हासिल करने के लिए लगातार कोशिश करना पड़ता है.
सकारात्मक सोच
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सफलता और असफलता में सिर्फ दृष्टिकोण का अंतर होता है. अगर इंसान सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ता है और अपनी गलतियों की से सीखता रहता है तो वह निस्संदेह एक न एक दिन जरूर सफल हो जाता है.
आंतरिक शांति जरूरी
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि इंसान को बाहरी शांति के मुकाबले आंतरिक शांति का मिलना बहुत जरूरी होता है. जिस व्यक्ति का मन शांत रहता है तो वह हर परिस्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम होता है.
अहंकार का अभाव
सफलता के लिए व्यक्ति को अहंकार के भाव से बचना चाहिए. अहंकार व्यक्ति को कभी आगे बढ़ने नहीं देता है. साथ ही व्यक्ति को कड़ी मेहनत करने की भी जरूरत होती है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.