दिवाली का त्योहार साल का वह समय है जब घरों, दफ्तर और समुदायों में उल्लास का माहौल रहता है. रोशनी, रंगोली, फुलझड़ियां, स्वादिष्ट खाने और पारिवारिक संबंधों से जुड़ा यह त्योहार एक ऐसा समय भी है जब आपके परिवार के सदस्यों खासकर बच्चों की सुरक्षा चिंता का विषय हो सकती है. ऐसे में आपको यह ध्यान में रखना होगा कि बच्चें सेफ्टी के साथ त्योहार का आनंद उठाए.
सुरक्षा का मतलब सिर्फ दीयों और पटाखों के आसपास सावधानी बरतना नहीं है. इसमें कई दूसरी चीजें भी शामिल हैं जैसे बच्चों की सेफ्टी का ध्यान रखना. दिवाली मनाते समय सुरक्षा उपायों को अपनाना जरूरी हैं. ऐसे में बच्चों के लेकर दिवाली के लिए कुछ सेफ्टी टिप्स बताएं गए हैं जिन्हें आपको फॉलो करना चाहिए.
सबसे पहले ये सुनिश्चित करें कि आपके पास फर्स्ट एड किट और फायर एक्सटिंगिशर रेडी रहे. ऐसा करने से अगर पटाखों से या किसी और चीड से चोट-पटक लग जाए या कोई आग की घटना हो जाए तो इसका निदान कर सकें.
पटाखे दिवाली का एक बड़ा हिस्सा हैं, खासकर जब आपके परिवार में किशोर और बच्चे हों. हालांकि, अगर पटाखों को ठीक से न संभाला जाए तो दुर्घटनाएं हो सकती हैं. आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि छोटे बच्चें अगर पटाखे जलाना चाहते हैं तो आप भी उनके साथ जाएं और पटाखे जलाते समय उन्हें गाइड करें.
दिवाली जैसे मौके पर सजना-संवरना किसे पसंद नहीं है? माता-पिता अपने बच्चों को नवीनतम रुझानों के अनुसार कपड़े पहनाते हैं. हालांकि, पटाखे फोड़ते समय समझदारी से कपड़े पहनना आपके लिए महत्वपूर्ण है. सिंथेटिक फैबरिक से बने कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि ये आसानी से आग पकड़ सकते हैं.
दिवाली में पटाखें जलाते समय आंखों की सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. खासकर, बच्चों की आंखों का. आंखों की सेफ्टी को लेकर कुछ टिप्स है जिसका आपको खास ध्यान रखना चाहिए. जैसे नजदीक से पटाखे फोड़ने वक्त आंखों में चश्मा लगा दें, आतिश्बाजी होने पर बच्चों के मुंह को मोड़ दें. पटाखे जलाने के बाद अपनी आंखों के छूने से पहले उन्हें साबुन पानी से हाथ धोने को कहें.
आपका बच्चा चाहे कितना ही साहसी क्यों न हो. आप उसे उसकी उम्र के हिसाब से ही पटाखे खरीद कर दें. इस पर भी अगर वो ज्यादा जिद करे तो उसे पटाखे खरीदकर तो दें, लेकिन जलाते समय उनके आसपास रहे, ताकि कोई दुर्घटना होने पर आप तुरंत इसका निदान कर सकें.
दिवाली के दौरान शोर का स्तर बहरा कर देने वाला हो सकता है. भले ही आप शोर वाले पटाखे नहीं जला रहे हों, फिर भी आपके पड़ोस में लोग ऐसा कर रहे होंगे. बुजुर्गों, बच्चों और शिशुओं को यह शोर असहनीय लग सकता है. ऐसे में बच्चों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए पटाखों का उपयोग सीमित करें.
बच्चों को अकेले पटाखे जलाने के लिए बाहर न भेजें. उन पर नजर बनाए रखें. सिर्फ छोटे बच्चें ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों पर भी ध्यान देना जरूरी है. पटाखे जलाते वक्त उन पर ध्यान दें.
दिवाली वह समय है जब हमारे घर सुंदर मिट्टी के दीयों की चमक से जगमगाते हैं. जहां ये हमारे जीवन में रोशनी लाते हैं, वहीं दीये आग का कारण भी बन सकते हैं. इसलिए, सुनिश्चित करें कि आपके बच्चें संबंधित दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहें.
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