बच्चे से खुलकर बात न करना
अगर आप बच्चे से अपने दिल की बात नहीं करेंगे, तो वो भी आपसे दूरी महसूस करेगा. सिंगल पैरेंट को अपने बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त बनना चाहिए. बच्चे को अपनी भावनाएं और परेशानी बताने का मौका दें. इससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत होगा.
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खुद का ध्यान न रखना
अक्सर सिंगल पैरेंट अपने ऊपर ध्यान देना भूल जाते हैं. लेकिन आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ ठीक रहेगी, तभी आप बच्चे की ठीक से देखभाल कर पाएंगे. खुद को थोड़ा वक्त देना जरूरी है. अच्छा खाना, नींद और थोड़ा रिलैक्सेशन आपके लिए भी जरूरी है.
एक्स-पार्टनर की बुराई करना
बच्चे के सामने एक्स-पार्टनर की बुराई करना बच्चे की सोच पर बुरा असर डाल सकता है. इससे बच्चा उलझन में पड़ सकता है और दोनों से दूर हो सकता है. बेहतर है कि आप बच्चे को सच्चाई समझाएं लेकिन नेगेटिव बातों से बचें. बच्चे को सुरक्षित और पॉजिटिव माहौल देना जरूरी है.
हर बात में गिल्ट फील करना
कई सिंगल पैरेंट्स खुद को दोषी मानते हैं कि उनका बच्चा पूरी फैमिली में नहीं रह पा रहा. लेकिन बार-बार गिल्ट फील करना आपके फैसलों को कमजोर बना सकता है. बच्चे को सिखाएं कि परिवार प्यार से बनता है, न कि सिर्फ दो लोगों से. खुद को मजबूत बनाएं ताकि बच्चा भी खुद पर भरोसा कर सके.
मदद न लेना या अकेले सब संभालना
सिंगल पैरेंट सब कुछ खुद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे थकान और तनाव बढ़ सकता है. परिवार, दोस्तों या प्रोफेशनल मदद लेना कमजोरी नहीं बल्कि समझदारी है. सपोर्ट सिस्टम होने से आप ज्यादा बेहतर पैरेंट बन पाएंगे. इससे बच्चे को भी बेहतर माहौल मिलेगा.
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