सूर्य देव के दर्शन से करें साल 2023 की शुरुआत, इन मंदिरों में टेके मत्था

Sun Temple in India: सूर्य का हमारे जीवन में खास महत्व है, ये बात ग्रंथों में ही नहीं, बल्कि विज्ञान ने भी साबित किया है. सूर्य यानी भगवान सूर्यदेव भारत के नौ ग्रहों में से एक हैं, माना जाता है कि जीवन में इसके महत्व को समझते हुए ही सूर्य मंदिरों का निर्माण किया गया है.

By Bimla Kumari | December 26, 2022 1:18 PM
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Sun Temple in India: सूर्य का हमारे जीवन में खास महत्व है, ये बात ग्रंथों में ही नहीं, बल्कि विज्ञान ने भी साबित किया है. सूर्य यानी भगवान सूर्यदेव भारत के नौ ग्रहों में से एक हैं, माना जाता है कि जीवन में इसके महत्व को समझते हुए ही सूर्य मंदिरों का निर्माण किया गया है. शास्त्रों के अनुसार रविवार को सूर्य देव की अराधना कि जाती है. और साल 2023 की शुरुआत भी रविवार से हो रही है. ऐसे में आपको सूर्य मंदिर जाकर भगवान भास्कर के दर्शन करने चाहिए और जल चढ़ाना चाहिए, आज हम आपको भारत के प्रमुख मंदिरों के दर्शन कराएंगे…

सोलंकी वंश के राजा भीमदेव द्वारा 1026 ईस्वी में बनवाए गए इस भव्य मंदिर की संरचना के सामने एक विशाल टैंक है, जिसमें इसकी कई छवियां हैं. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि विषुव के समय सूर्य की किरणें सूर्य की छवि पर पड़ती हैं.

कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी का हिंदू मंदिर है जो सूर्य देवता को समर्पित है. एक विशाल रथ के आकार का, मंदिर उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी के लिए जाना जाता है जो पूरी संरचना को कवर करता है.

माना जाता है कि 8 वीं शताब्दी में निर्मित, मंदिर काराकोटा वंश के राजा ललितादतिया मुक्तापिडा द्वारा पूरा किया गया था. यह कश्मीरी स्थापत्य कौशल का एक उदाहरण था. इसे 15वीं शताब्दी में इस्लामिक शासक सिकंदर बटशिकन ने नष्ट कर दिया था और अब यह खंडहर में तब्दिल हो गया है.

इस मंदिर में सूर्य देव की मूर्ति काली प्लेटों से ढके एक ईंट के चबूतरे पर खड़ी है. सूर्य की 21 कलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इक्कीस त्रिकोण मंदिर में खुदे हुए हैं. झांसी के पास स्थित इस मंदिर को ग्वालियर से 69 किलोमीटर दूर पेशवाओं और दतिया के शासकों ने संरक्षण दिया था.

यहां पूजा की जाने वाली सूर्य देवता की ग्रेनाइट की मूर्ति ईरानी परंपरा की तरह जैकेट, कमरबंद और ऊंचे जूते पहनती है. इसमें एक टैंक है जहां पूर्वजों को प्रसाद चढ़ाया जाता है. वर्तमान संरचना 13 वीं शताब्दी की है, जिसे वारंगल के दक्षिण भारतीय सम्राट प्रतापरुद्र ने बनवाया था.

एक अपेक्षाकृत आधुनिक संरचना, इस मंदिर में अपने पिता कश्यप के साथ सूर्य की 12 छवियों के साथ एक गोलाकार पत्थर की गोली है. सूर्य पहाड़ को पुरातात्विक अवशेषों की आभासी गैलरी के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें कलात्मक योग्यता के रॉक कट के आंकड़े भी हैं.

रांची से करीब 40 किमी दूरी पर बुंडू का विशालतम सूर्य मंदिर स्थित है. इसका निर्माण संगमरमर से किया गया है. 18 पहियों और सात घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य का प्रारूप भव्य नजर आता है. इस मंदिर की आधारशिला स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती के द्वारा 24 अक्टूबर 1991 में रखी गयी और मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा स्वामी श्री वामदेव जी महाराज के द्वारा 10 जुलाई 1994 को सम्पन हुई.

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