Surya Grahan April 2022 Date: साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल 2022 को लगने जा रहा है. यह सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा जिसका असर दक्षिणी/पश्चिमी अमेरिका, पेसिफिक अटलांटिक और अंटार्कटिका में देखने को मिलेगा. ये सूर्य ग्रहण रात 12:15 से लेकर सुबह 04:07 बजे तक रहेगा. इस दौरान 1 मई तारीख लग चुकी होगी. इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 52 मिनट की होगी.
सूर्य ग्रहण भरणी नक्षत्र और मेष राशि के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा
पंचांग अनुसार 30 अप्रैल को लगने जा रहा सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. जो वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या से शुरू होगा और इसकी समाप्ति होते-होते प्रतिपदा तिथि लग चुकी होगी. इस दौरान सूर्य और चंद्र दोनों ही मेष राशि में रहेंगे. यह ग्रहण भरणी नक्षत्र और मेष राशि के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा.
कहां और कैसे दिखेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण ?
साल का पहला सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के दक्षिण-पश्चिमी भाग, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा. भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं लग रहा है. इसी वजह से यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. हालांकि ग्रहण की ये घटना विभिन्न चैनलों के माध्यम से लाइव देख सकते हैं. बता दें कि 30 अप्रैल काे लग रहे सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी लगेगा.
सूर्य ग्रहण कितने तरह का होता है जानें
1. पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) : जब चंद्रमा सूर्य के बीच में आकर उसको पूरी तरह से ढक लेता है तो पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है.
2. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) : जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आता है कि सूर्य उससे पूरी तरह से नहीं ढकता और सूर्य का सिर्फ कुछ हिस्सा ही ढकता है, तब इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.
3. वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) : चन्द्रमा जब पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है. ऐसे में सूर्य का सिर्फ मध्य भाग ढकता है और सूर्य कंगन की तरह नजर आता है. इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं.
सूर्य ग्रहण लगने के पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है. इसी वजह से पृथ्वी पर कुछ पलों के लिए सूरज की रोशनी ठीक से नहीं आ पाती और अंधेरा छा जाता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को निगल लेता है. इस दौरान सूर्य कष्ट में होता है और ग्रहण लग जाता है. लेकिन राहु का धड़ न होन के कारण कुछ ही समय में सूर्य वापस अपनी स्थिति में लौट आता है. सूर्य के अपनी स्थिति में वापस लौटते ही ग्रहण खत्म हो जाता है.
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