कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाया जाता है इस दिन तुलसी विवाह कराया जाता हैंं. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है.
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पूरे चार महीने बाद क्षीर सागर में शयन मुद्रा से जग जाते हैं. इस दिन से ही शादी-विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
शास्त्रों में तुलसी पूजन का विशेष विधान है. मान्यता है कि तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. ज्योतिष शास्त्र में तुलसी विवाह के पर्व को भी महत्वपूर्ण माना गया है.
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है. तुलसी विवाह की तिथि का शुभारंभ 23 नवंबर, दिन गुरुवार को रात 9 बजकर 1 मिनट पर हो रहा है. वहीं, तिथि का समापन 24 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार उदया तिथि के मान को देखते हुए तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा, इस दिन तुलसी पूजन के साथ व्रत रखना भी शुभ माना जाता है.
तुलसी पूजन की मान्यता है कि ऐसा करने से विष्णुजी और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.
तुलसी विवाह की सामग्री की बात करें तो इसके लिए आपको चाहिए : हल्दी की गांठ, शालिग्राम, गणेशजी की प्रतिमा, श्रृंगार सामग्री, विष्णुजी की प्रतिमा,बताशा, फल, फूल, धूप-दीप, हल्दी, हवन सामग्री, गन्ना, लाल चुनरी, अक्षत,रोली, कुमकुम, तिल, घी, आंवला, मिठाई, तुलसी का पौधा
नोट करें तुलसी विवाह की विधि
देव उठनी एकादशी के दिन सबसे पहले तुलसी विवाह के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें.तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं .प्रदोष काल में तुलसी विवाह किया जाता है इसिलए साफ – सुथरे कपड़े पहनकर शाम को पूजा में शामिल हों.कलश के पास पूजा की एक छोटी चौकी पर तुलसी का पौधा रखें और गमले पर गन्ने का मंडप बनाएं. वहीं एक दूसरी चौकी पर शालिग्राम जी को स्थापित करें .तुलसी विवाह के लिए कलश पर स्वास्तिक बनाएं और संभव हो तो तुलसी के गमले के पास रंगोली जरूर बनाएं.
देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए पूजा से पहले तुलसी और शालिग्राम भगवान पर फूलों से गंगाजल छिड़के.तुलसी माता को रोली और शालिग्राम जी को चंदन का तिलक लगाना चाहिए. तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाएं और उन्हें श्रृंगार सामग्री अर्पित करें.
तुलसी विवाह के लिए शालिग्राम भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें पीला वस्त्र अर्पित करें और तुलसी और शालिग्राम जी को हल्दी लगाएं. इसके बाद शालिग्रामजी को हाथ में लेकर तुलसी के पौधे की 7 बार परिक्रमा करें . तुलसी विवाह को बड़े विधि-विधान से करना चाहिए. तुलसी माता और शालिग्राम जी की आरती करें
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