जिसने भी बनाया यहां दो मंजिला घर, उस पर टूटी आफत! वजह जानकर आप कहेंगे- ऐसा कैसे हो सकता है?

Unique Village In India: राजस्थान के चुरू जिले में स्थित उदसर गांव 700 साल पुराने एक रहस्यमयी श्राप के कारण चर्चा में रहता है. गांववालों का मानना है कि अगर कोई अपने घर को दो मंजिला बनाता है, तो उसे विपत्तियों का सामना करना पड़ता है. जानिए कैसे यह परंपरा आज भी गांव की सोच और संस्कृति को प्रभावित करती है.

By Sameer Oraon | June 19, 2025 10:54 PM
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Unique Village In India: भारत की आत्मा गांवों में बसती है. ये सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है. खासकर जब हम बात करते हैं उन गांवों की, जहां आज भी परंपरा, आस्था और लोककथाएं लोगों की सोच और जीवनशैली को गहराई से प्रभावित करती हैं. ऐसा ही एक रहस्यमयी गांव है उदसर, जो राजस्थान के चुरू जिले की सरदारशहर तहसील में स्थित है. यह गांव किसी आधुनिक तकनीक या भव्य इमारतों के लिए नहीं, बल्कि एक 700 साल पुराने श्राप के कारण देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. आज भी यहां कोई भी अपने घर को दो मंजिला बनाने की हिम्मत नहीं करता. गांववालों का मानना है कि जैसे ही कोई यह गलती करता है, उसके परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ता है.

भेमिया की कहानी जिसने बदल दी पूरे गांव की किस्मत

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सदियों पहले उदसर गांव में भेमिया नाम का एक साहसी व्यक्ति रहता था. एक रात जब गांव में कुछ चोर घुस आए और पशुओं को चुराने लगे, तो अकेले भेमिया ही था जिसने उनका सामना किया. भीषण संघर्ष में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह अपने ससुराल के दो मंजिला मकान की ऊपरी मंजिल पर जाकर छिप गया. दुर्भाग्यवश, चोर वहां भी पहुंच गए. इसके बाद उसे और उसके परिजनों को बेरहमी से पीटा. अंततः चोरों ने भेमिया का गला काट दिया. लेकिन मरते-मरते भी वह लड़ता रहा. कहते हैं, उसका धड़ लड़खड़ाते हुए उदसर गांव की सीमा तक आया और वहीं गिर पड़ा.

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भेमिया की पत्नी का श्राप, जो आज भी गांव पर छाया है

जब यह खबर भेमिया की पत्नी तक पहुंची, तो उसे बहुत दुखा हुआ. क्रोध में आकर उन्होंने गांववालों को श्राप दे दिया कि “जिस किसी ने भी इस गांव में दो मंजिला घर बनाने की कोशिश की, उसका परिवार नष्ट हो जाएगा.” तब से लेकर आज तक ना कोई इस आस्था को तोड़ पाया और ना ही दो मंजिला घर की नींव रखी गई. गांव में आज भी केवल एकमंजिला मकान दिखते हैं. यह आस्था और भय का एक जीता-जागता उदाहरण है.

न विज्ञान इसे साबित कर सका, न श्रद्धा झुठला पाई

इस कहानी का कोई लिखित प्रमाण नहीं, फिर भी पीढ़ी दर पीढ़ी यह किस्सा जस का तस गांव में जिंदा है. कोई कहता है कि ये अंधविश्वास है, तो कोई इसे संस्कारों की शक्ति मानता है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब भी किसी ने इस प्रथा को तोड़ने की कोशिश की, उसके परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ा. किसी के घर में बीमारी आई, तो किसी के व्यापार में नुकसान हुआ.

क्या है ये? डर या श्रद्धा?

शायद यह सवाल कभी पूरी तरह हल नहीं होगा. लेकिन उदसर गांव एक ऐसा उदाहरण जरूर है, जहां इतिहास ने मिलकर लोगों की सोच और जीवन को दिशा दी है. आधुनिक दौर में जहां गगनचुंबी इमारतें बनने की होड़ है, वहीं उडसर गांव एकमंजिला घरों की शांत कतारों में 700 साल पुराने वचन की गूंज आज भी सुनाता है.

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