Varshavasa 2025: 10 जुलाई से शुरू होगा तीन महीने का ध्यानकाल, जानिए क्यों बौद्ध भिक्षु एक ही स्थान पर रुकते हैं

Varshavasa 2025: आइए जानें कि वर्षावास क्यों मनाया जाता है, इसकी क्या महत्ता है और यह हमारी जीवनशैली को कैसे प्रभावित करता है.

By Shubhra Laxmi | July 9, 2025 3:29 PM
an image

Varshavasa 2025: हर वर्ष की तरह इस बार भी वर्षावास 2025 की शुरुआत 10 जुलाई से होने जा रही है. यह समय बौद्ध भिक्षुओं के लिए विशेष रूप से महत्व रखता है, जब वे तीन महीने तक एक ही स्थान पर ठहरकर ध्यान, साधना और आत्मचिंतन में लीन रहते हैं. वर्षावास का यह काल केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण, करुणा और आत्मविकास से जुड़ा एक आध्यात्मिक संदेश भी देता है. इस दौरान भिक्षु यात्राएं नहीं करते, बल्कि समाज के बीच रहकर सेवा और शांति का प्रसार करते हैं. आइए जानें कि वर्षावास क्यों मनाया जाता है, इसकी क्या महत्ता है और यह हमारी जीवनशैली को कैसे प्रभावित करता है.

वर्षावास क्या है और कब शुरू होता है?

वर्षावास बौद्ध धर्म की एक प्राचीन परंपरा है. इसमें भिक्षु वर्षा ऋतु के दौरान यात्रा छोड़कर एक ही जगह पर तीन महीने तक ठहरते हैं. यह समय साधना, ध्यान और आत्मचिंतन के लिए होता है. वर्ष 2025 में यह 10 जुलाई से शुरू होगा. यह अवधि सावन से आश्विन मास तक चलती है.

इसका उद्देश्य और महत्व

वर्षावास का मुख्य उद्देश्य भिक्षुओं को आत्मचिंतन और ध्यान के लिए समय देना है. इस दौरान वे अहिंसा और संयम का पालन करते हैं. साथ ही, वे समाज की सेवा में भी लगे रहते हैं. यह समय उनका आध्यात्मिक विकास और अनुशासन बढ़ाने का होता है. यह परंपरा हमें जीवन में स्थिरता और शांति सिखाती है.

ये भी पढ़ें: Guru Purnima 2025 Wishes: गुरु पूर्णिमा पर भेजें ये टॉप 10 शुभकामना संदेश, पाएं गुरु का आशीर्वाद

प्रकृति और जीवनशैली से जुड़ाव

वर्षावास का एक बड़ा कारण प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना भी है. बारिश के मौसम में यात्रा न करके भिक्षु छोटे जीवों की रक्षा करते हैं. यह हमें दिखाता है कि जीवन में प्रकृति के साथ तालमेल कितना जरूरी है. इसके साथ ही यह संयमित जीवनशैली अपनाने का भी उदाहरण देता है. यह पर्यावरण के प्रति सम्मान का संदेश देता है.

आज के समय में इसकी प्रासंगिकता

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में वर्षावास जैसे समय की बहुत जरूरत है. यह मानसिक शांति और आत्मविकास का अवसर देता है. ध्यान और संयम से हमारी जिंदगी बेहतर बन सकती है. यह हमें संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है. इसलिए वर्षावास की प्राचीन परंपरा आज भी प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है.

ये भी पढ़ें: Guru Purnima Gift Ideas: गुरु को दें ये दिल से चुने गिफ्ट्स, मिलेगा आशीर्वाद और चमकेगा भाग्य

ये भी पढ़ें: Gita Updesh: पढ़ाई और करियर में सफलता के लिए क्या कहती है गीता?

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Life and Style

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version