इस दिशा में हो मंदिर
घर के मंदिर का स्थान वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसे सही दिशा में स्थापित करना आवश्यक है, क्योंकि मंदिर के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) और पूर्व है. यदि मंदिर की दिशा गलत हो, तो इससे पूजा का फल अधूरा रह सकता है और घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है. इसलिए मंदिर की दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और समृद्धि का वास हो.
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इस दिशा में बैठकर करें पूजा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा करते समय बैठकर पूजा करना शुभ फल देने वाला होता है, जबकि खड़े होकर पूजा करने से उतना लाभ नहीं मिलता. पूजा के दौरान आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक मानी जाती है. इसके साथ ही मंदिर में भगवान की मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और पूजा का प्रभाव कम हो सकता है.
मंदिर के पास में न हों ये चीजें
घर का मंदिर शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है, इसलिए इसकी स्वच्छता अत्यंत आवश्यक है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा से पहले स्नान करना और साफ कपड़े पहनना चाहिए. पूजा स्थल को हमेशा साफ रखें और वहां कोई गंदगी न हो. साथ ही ध्यान रखें कि मंदिर के पास शौचालय न हो और न ही पूजा घर को सीढ़ियों के नीचे बनवाना चाहिए. इन नियमों का पालन करने से पूजा का फल बढ़ता है और घर में शुभता बनी रहती है.
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