घर के चार प्रमुख कोनों का वास्तु रहस्य
उत्तर-पूर्व कोना (ईशान कोण)
यह कोना आध्यात्मिक ऊर्जा और मानसिक शांति से जुड़ा होता है. यहां मंदिर, पानी का स्रोत या खाली स्थान शुभ माना जाता है. लेकिन अक्सर लोग यहां भारी अलमारी, जूते, झाड़ू, या डस्टबिन रखते हैं जिससे मानसिक तनाव और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है. इसलिए इस कोने को हमेशा साफ रखें, और गंदगी के बजाय वहां तुलसी का पौधा, दीपक या जल कलश रखें.
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दक्षिण-पश्चिम कोना (नैऋत्य कोण)
दक्षिण-पश्चिम कोना स्थिरता और नियंत्रण का प्रतीक है. घर के मालिक या बुजुर्गों का कमरा इस दिशा में हो तो शुभ होता है. लेकिन इस जगह को गलती से खाली न छोड़ें न ही कोई हल्की चीजें रखें. यहां भारी फर्नीचर, तिजोरी या मजबूत दीवार रखें. अगर संभव हो तो यहां परिवार की तस्वीरें भी लगा सकते हैं.
उत्तर-पश्चिम कोना (वायव्य कोण)
यह कोना संबंधों और संचार से जुड़ा होता है. यहां गंदगी या बेकार चीजें रखने से रिश्तों में गलतफहमियां और बहसबाजी बढ़ती है. इसलिए इस कोने को खुला और हल्का रखें. हवा और रोशनी का प्रवाह बना रहे. सफेद रंग का प्रयोग शुभ होता है.
दक्षिण-पूर्व कोना (अग्नि कोण)
यह कोना अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, और इसलिए इसे रसोई या ऊर्जा स्रोतों के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसलिए यहां टॉयलेट, पानी की टंकी या स्टोररूम बनवाना शुभ नहीं माना जाता है. अगर यहां किचन न भी हो तो वहां नमक, लाल कपड़ा या आग के सामान का प्रतीक रखें.
छोटे छोटे कोनों की ना करें अनदेखी
घर के छोटे कोने, सीढ़ियों के नीचे, या दीवार के जंक्शन पर अक्सर जूते, कबाड़, टूटे आइटम या झाड़ू रख दिए जाते हैं. वास्तु के अनुसार ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं जिससे पूरे घर का संतुलन बिगाड़ता है. ऐसे कोनों में आप क्रिस्टल बॉल, नमक का कटोरा, कपूर या गंगाजल छिड़कने जैसे उपाय कर सकते हैं.
कोनों की ऊर्जा से जुड़े कुछ और वास्तु टिप्स
- हर कोने को सप्ताह में एक बार जरूर साफ करें.
- वहां कोई टूटा आइना, बंद घड़ी, या फटा हुआ पोस्टर न रखें.
- सुगंधित धूपबत्ती, कपूर या देसी दीपक जलाने से कोनों की ऊर्जा सकारात्मक होती है.
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