Vidur Niti: अंधकार के हैं ये चार दीपक, मन में छिपे डर को मिटाने में करेंगे मदद
Vidur Niti: विदुर हमें यह सिखाते हैं कि जब परिस्थितियां जटिल हों और चारों ओर भ्रम का अंधकार हो तब भी अगर विवेक और धर्म का दीप हमारे भीतर जल रहा हो, तो हम सही राह पा सकते हैं. आज की उलझनों से भरी दुनिया में विदुर की नीतियां ठहराव, स्पष्टता और आत्मिक शक्ति देती हैं.
By Shashank Baranwal | April 18, 2025 10:08 AM
Vidur Niti: महाभारत में विदुर उस दीपक की तरह हैं जो अपने छोटे से पात्र में भी विशाल प्रकाश फैलाता है. उन्होंने जन्म से नहीं, बल्कि अपने विचारों, ज्ञान और धर्मनिष्ठा से महानता हासिल की. एक दासी के गर्भ से जन्म लेने के बावजूद भी विदुर ने हस्तिनापुर जैसे शक्तिशाली राज्य में अपने लिए एक ऐसा स्थान बनाया, जहां केवल बुद्धि, विवेक और सत्य की कद्र थी. वे सिर्फ नीति के ज्ञाता नहीं थे, बल्कि धर्म के सजग प्रहरी थे. उन्होंने सत्ता से कभी डर नहीं खाया और न ही रिश्तों के दबाव में आकर सच्चाई से समझौता किया. उनकी बातें जो कभी दरबार में गूंजती थीं, आज विदुर नीति के रूप में अमूल्य मार्गदर्शन बन चुकी हैं. विदुर हमें यह सिखाते हैं कि जब परिस्थितियां जटिल हों और चारों ओर भ्रम का अंधकार हो तब भी अगर विवेक और धर्म का दीप हमारे भीतर जल रहा हो, तो हम सही राह पा सकते हैं. आज की उलझनों से भरी दुनिया में विदुर की नीतियां ठहराव, स्पष्टता और आत्मिक शक्ति देती हैं. विदुर नीति में बताया गया है कि चार कर्म ऐसे होते हैं, जिन्हें अगर सही तरीके से किया जाए तो भय आपसे कोसो दूर रहता है. आइए जानते हैं इन चार कर्मों के बारे में विस्तार से.
विदुर नीति में बताया गया है कि जो व्यक्ति आदर के साथ अग्निहोत्र करता है उससे डर और भय कोसो दूर रहता है. बता दें अग्निहोत्र हिन्दू धर्म की एक प्राचीन वैदिक यज्ञ विधि है, जो कि खास तौर पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किया जाता है. यह एक आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत लाभकारी अग्निकर्म है, जिसमें विशेष मंत्रों के साथ अग्नि में गाय के घी और विशेष अनाज (मुख्यतः जौ या चावल) की आहुति दी जाती है.
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति सम्मानपूर्वक मौन का पालन करता है, वह भीतर से स्थिर और संयमित होता है. ऐसे व्यक्ति के आसपास भय ठहरता नहीं, क्योंकि उसका आत्मबल और विवेक इतना मजबूत होता है कि नकारात्मकता उसके पास फटक भी नहीं सकती. मौन उसे भीतर की शक्ति से जोड़ता है और सच्चे आत्मविश्वास से भर देता है.
महात्मा विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति आदरपूर्वक स्वाध्याय यानी आत्म-अध्ययन करता है, उसके जीवन में डर का कोई स्थान नहीं होता है. ऐसा इंसान भीतर से जागरूक और मजबूत बन जाता है. ज्ञान और आत्मचिंतन उसे सच्चाई का मार्ग दिखाते हैं, जिससे वह परिस्थितियों से डरे बिना आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है.
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा और आदर के साथ यज्ञ करता है, वह भय से मुक्त रहता है. यज्ञ न केवल बाहरी बल, बल्कि आंतरिक शुद्धि का माध्यम भी है. जब मनुष्य सच्चे भाव से आहुति देता है, तो वह नकारात्मकता से दूर होता है और उसके जीवन में साहस, शांति और स्थिरता बनी रहती है.