गंगा में सिक्के फेंकने से क्या होता है? प्रेमानंद जी महाराज ने खोली आंखें
Premanand Ji Maharaj: अक्सर आपने गंगा नदी या किसी भी नदी में नहाते वक्त एक सिक्का जरूर डाला होगा. ऐसे में क्या सिक्का नदी में फेंकना पुण्य है या परंपरा आइए प्रेमानंद जी महाराज से जानते हैं.
By Shashank Baranwal | April 29, 2025 8:17 AM
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज एक दिव्य संत हैं, जिनकी उपस्थिति में मन शांत हो जाता है और आत्मा ईश्वर की अनुभूति करने लगती है. उनका सरल, मधुर और विनम्र स्वभाव सभी के हृदय को छू लेता है. उनके प्रवचन जीवन को समझने की गहराई देते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से वे लाखों लोगों के भीतर श्रद्धा, प्रेम और आत्मिक संतुलन की भावना जागृत कर रहे हैं. अक्सर उनके सत्संग में श्रद्धालु अपनी कई समस्याओं को लेकर पहुंचते है, जिनको सुनकर महाराज जी समाधान बताते हैं. कई बार श्रद्धालु आध्यात्मिक सवालों भी पूछते हैं, जिसका बहुत ही सहज और तार्किक जवाब देते हैं. हाल ही में एक श्रद्धालु प्रेमानंद जी से सवाल किया कि क्या गंगा में सिक्का फेंकने से पुण्य मिलता है या सिर्फ यह एक परंपरा ही है.
प्रेमानंद जी ने क्या बताया?
प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत ही सरल भाषा में समझाया कि गंगा में सिक्के फेंकना न तो कोई पुण्य का कार्य है और न ही इसका कोई आध्यात्मिक लाभ होता है. उल्टा, इससे गंगा की पवित्रता और स्वच्छता को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने कहा कि यदि किसी को वास्तव में पुण्य कमाना है, तो वही सिक्के या पैसे किसी जरूरतमंद की सेवा में लगाएं. जैसे- किसी भूखे को भोजन कराएं, गाय को चारा खिलाएं या किसी गरीब को कपड़े और आवश्यक वस्तुएं दें. इस प्रकार की सेवा ही सच्चे पुण्य का मार्ग है.
प्रेमानंद जी महाराज ने लोगों को अंधविश्वासों से दूर रहने की प्रेरणा दी. उन्होंने कहा कि आज कई लोग परंपराओं को बिना समझे अपनाते हैं, जबकि वास्तविक पुण्य सेवा, करुणा और सच्चे भाव से प्राप्त होता है. उन्होंने भक्तों से अपील की कि गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प लें और अपनी श्रद्धा को समाज सेवा में रूपांतरित करें. उनका स्पष्ट संदेश था कि गंगा में वस्तुएं फेंकने के बजाय उसके निर्मल जल की रक्षा करना ही सच्ची भक्ति है.