Pink Tax: आखिर क्यूं एक ही चीज के लिए महिलाओं से वसूले जाते हैं ज्यादा पैसे

Pink Tax:1️⃣ क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को एक ही सामान के लिए पुरुषों की तुलना में ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं? इसे ही पिंक टैक्स कहा जाता है, जानें इसकी सच्चाई और इससे बचने के उपाय.

By Pratishtha Pawar | March 6, 2025 6:31 PM
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Pink Tax: क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे साइज के बावजूद महिलाओं के शॉर्ट्स पुरुषों के शॉर्ट्स से महंगे क्यों होते हैं? या फिर महिलाओं के रेजर, जो सिर्फ रंग में अलग होते हैं, उनकी कीमत पुरुषों के रेज़र से ज्यादा क्यों होती है? यह कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि “पिंक टैक्स” (Pink Tax) का असर है!

महिलाओं के लिए बने सामानों की कीमतें अक्सर पुरुषों के समान से ज्यादा होती हैं, और यह भेदभाव चुपचाप हमारे रोजमर्रा के खर्चों में शामिल हो चुका है. लेकिन आखिर क्यों महिलाओं को हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ता है? आइए जानते हैं इस अनदेखे कर के पीछे की सच्चाई.

What is Pink Tax: क्या है पिंक टैक्स?

पिंक टैक्स का मतलब महिलाओं के लिए बने उत्पादों की बढ़ी हुई कीमतों से है. कंपनियां अक्सर एक ही तरह के प्रोडक्ट को सिर्फ रंग बदलकर (जैसे गुलाबी या बैंगनी रंग के रेज़र) महिलाओं के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उत्पाद के रूप में बेचती हैं और उसकी कीमत बढ़ा देती हैं. हालांकि इन उत्पादों में कोई खास अंतर नहीं होता, लेकिन महिलाओं को इसके लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ता है.

किन उत्पादों पर पड़ता है पिंक टैक्स का असर?

पिंक टैक्स लगभग हर रोज़मर्रा की चीज़ों पर लागू होता है, जैसे:

  • कपड़े: महिलाओं के कपड़े आमतौर पर पुरुषों के कपड़ों की तुलना में महंगे होते हैं, भले ही फैब्रिक और डिज़ाइन में ज्यादा फर्क न हो. यहां तक कि छोटे साइज के बावजूद महिलाओं के शॉर्ट्स या टी-शर्ट्स की कीमत पुरुषों के कपड़ों से ज्यादा होती है.
  • रेज़र: पुरुषों और महिलाओं के रेज़र में केवल रंग का फर्क होता है, लेकिन महिलाओं के रेज़र की कीमत ज्यादा होती है.
  • परफ्यूम और डियोडरेंट: महिलाओं के लिए बनाए गए परफ्यूम और डियोडरेंट्स की कीमतें पुरुषों के उत्पादों की तुलना में अधिक होती हैं.
  • हेयरकट और ब्यूटी सर्विसेस: महिलाओं के लिए हेयरकट और ब्यूटी ट्रीटमेंट की कीमतें पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा होती हैं.

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Why Pink Tax: क्यों लगाया जाता है पिंक टैक्स?

  • मार्केटिंग स्ट्रेटेजी: कंपनियां मानती हैं कि महिलाएं अपने लुक और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार रहती हैं, इसलिए वे इन्हीं उत्पादों को महंगे दामों में बेचती हैं.
  • स्टीरियोटाइप्स का असर: समाज में महिलाओं को फैशन और ब्यूटी को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं.
  • कम प्रतिस्पर्धा: महिलाओं के उत्पादों के लिए बाजार में कम विकल्प होते हैं, जिससे कंपनियां मनमानी कीमतें वसूलती हैं.

कैसे बचें पिंक टैक्स से?

  • यूनिसेक्स प्रोडक्ट्स खरीदें: रेज़र, परफ्यूम और अन्य वस्तुओं में पुरुषों के वर्ज़न सस्ते मिल सकते हैं, इसलिए उन्हें खरीदना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.
  • दूसरे विकल्प तलाशें: हमेशा प्रोडक्ट्स की कीमत और गुणवत्ता की तुलना करें, और बिना ब्रांडेड उत्पादों को भी आजमाएं.
  • सरकार से कार्रवाई की मांग करें: कई देशों में पिंक टैक्स के खिलाफ कानून बनाए गए हैं. भारत में भी इस पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि महिलाओं से अतिरिक्त कीमत न वसूली जाए.

पिंक टैक्स सिर्फ एक मूल्य अंतर नहीं, बल्कि महिलाओं के साथ आर्थिक भेदभाव का उदाहरण है. महिलाएं हर रोज उन्हीं चीजों के लिए ज्यादा पैसे चुकाती हैं, जो पुरुषों को सस्ती मिलती हैं. समय आ गया है कि उपभोक्ता इस विषय पर जागरूक हों और कंपनियों से जवाब मांगें, ताकि सभी के लिए समान कीमतों की व्यवस्था हो सके.

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