Table of Contents
- हार्ट अटैक का खतरा
- थकान और नींद लेने में परेशानी
- अवसाद, चिंता और तनाव
- हो सकती है अनिद्रा की समस्या
- वजन बढ़ना व ब्लड शुगर लेबल असामान्य होना
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्याएं
Effects Of Working In Night Shifts: वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और पेसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक नये अध्ययन से पता चला है कि लगातार तीन दिन तक नाइट शिफ्ट में काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे शुगर, डिप्रेशन, मोटापा और अन्य मेटाबॉल्जिम से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. जर्नल ऑफ प्रोटीन रिसर्च में प्रकाशित यह अध्ययन मस्तिष्क में स्थित बायोलॉजिकल क्लॉक की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालता है. लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से शरीर की लय पर असर पड़ सकता है और यह शरीर के कई कार्यों को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से ब्लड शुगर के रेगुलेशन और एनर्जी मेटाबॉल्जिम से संबंधित. जानें
नाइट शिफ्ट में काम करने से अन्य कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं.
हार्ट अटैक का खतरा
विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि नाइट शिफ्ट में काम करने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है. नींद की आदतों में बदलाव से ब्लड प्रेशर और ब्लड सर्कुलेशन पर काफी असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है.
थकान और नींद लेने में परेशानी
नाइट शिफ्ट में काम करने का मतलब है शारीरिक और मानसिक सहित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित करना. रात में काम करने से सर्कैडियन रिदम बिगड़ जाती है, जिससे व्यक्ति को भरपूर नींद लेने में परेशानी होती है. इससे थकान का सामना करना पड़ता है. अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता है, तो उसे अपने काम पर अच्छी से फोकस कर पाने की मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.साथ ही रोजमर्रा के कामों को आसानी से पूरा करने में भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
अवसाद, चिंता और तनाव
लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से आप अवसाद और अन्य मानसिक संबंधी विकारों से पीड़ित हो सकते हैं. दरअसल, नींद की कमी के कारण अवसाद, चिंता, तनाव और एडजस्टमेंट डिसऑर्डर जैसे मनोदशा संबंधी समस्याओं के होने की संभावना अधिक होती है, जिसका असर किसी के सामाजिक रिश्तों पर भी पड़ सकता है. इसकी वजह से व्यक्ति चिड़चिड़ा, निराश, सुस्त और अकेलापन महसूस कर सकता है.
हो सकती है अनिद्रा की समस्या
नाइट शिफ्ट में काम करने से सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यह शरीर की नेचुरल सर्कैडियन रिदम को प्रभावित करता है और अनियमित नींद पैटर्न और अनिद्रा का कारण बनता है. इसके चलते गुणवत्तापूर्ण नींद लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
वजन बढ़ना व ब्लड शुगर लेबल असामान्य होना
नाइट शिफ्ट में काम से शरीर की सर्कैडियन रिदम पर असर पड़ सकता है. इससे अनहेल्दी चीजों के खाने की आदत पड़ सकती है. इसके साथ ही शारीरिक गतिविधियां भी घट जाती हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के मुताबिक, नाइट शिफ्ट में काम करने वालों में नमकीन, समोसा, चीनी भोजन, वड़ा पाव, बर्गर, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज या कोला जैसी हाइ कैलोरी और अनहेल्दी चीजों के खाने की संभावना बढ़ जाती है. इससे वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा नाइट शिफ्ट के दौरान सही समय पर खाना नहीं खाने से इंसुलिन रेजिस्टेंस भी प्रभावित हो सकती है. इससे ब्लड शुगर लेबल असामान्य हो सकता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्याएं
नाइट शिफ्ट में काम करने वाले ज्यादातर लोग समय पर खाना नहीं खा पाते हैं. इसके साथ ही भूख लगने पर वे अनहेल्थी चीजों जैसे नूडल्स, बर्गर, चाउमिन आदि का सेवन करते हैं. अनहेल्थी चीजों को खाने से आंत पर काफी असर पड़ सकता है. इसकी वजह से एसिडिटी, सूजन, कब्ज, दस्त और अल्सर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
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