मधुपुर . शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न प्रतिष्ठानों, होटलों व गैराज का निरीक्षण गुरुवार को बाल मजदूरी के खिलाफ श्रम अधीक्षक शैलेंद्र कुमार साह के नेतृत्व में टीम के सदस्यों ने किया. इस दौरान शहरी क्षेत्र में अलग- अलग प्रतिष्ठान व गैराज से पांच बाल श्रमिकों को रेस्क्यू कर मुक्त कराया गया. इस क्रम में बाल कल्याण समिति को तीन रेस्क्यू बाल श्रमिकों को प्रस्तुत किया गया. जबकि दो श्रमिक को शुक्रवार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. वहीं श्रम अधीक्षक ने बाल श्रम के खिलाफ सरकार के आदेश का पालन करने के लिए दुकानदारों को सख्त निर्देश दिया और प्रतिष्ठानों के बाहर सूचना प्रदर्शित करने को कहा. उन्होंने बाल श्रमिक नहीं रखने का प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर बोर्ड लगाने का निर्देश देते हुए बच्चों से काम नहीं कराने की हिदायत दी. उन्होंने कहा कि बाल श्रम संज्ञेय अपराध है. 14 वर्ष से कम उम्र के बालक से कार्य लेने वाले प्रतिष्ठान व गैराज पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना व अधिकतम दो वर्ष के कारावास का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक विमुक्ति को लेकर जिला स्तर पर धावा दल की बैठक की गयी थी, जिसमें निर्णय लिया गया कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बाल श्रमिक विमुक्ति को लेकर अभियान चलाया जायेगा. वहीं इस दौरान बताया कि लोगों को भी इस मसले पर संवेदनशीलता दिखानी होगी. मौके पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी मीरा कुमारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कौशल कुमार, मनोरमा देवी, आश्रय संस्था की दीपा कुमारी, मुजमिल हुसैन, आदर्श कुमार, चेतना विकास की नीता पाठक, सिविल सर्जन देवघर के प्रतिनिधि समेत चाइल्ड हेल्पलाइन के परियोजना समन्वयक अनिल पासवान, सुपरवाइजर परवेज अंसारी, नीरज कुमार दास आदि मौजूद थे.
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