राजमहल. हिंदू धर्म रक्षा मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष संत कुमार घोष ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ईमेल के माध्यम से एक पत्र भेजकर पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर गहरी चिंता जतायी है. उन्होंने मांग की है कि राज्य में वक्फ बोर्ड संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों की आड़ में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले रोके जायें. घोष ने लिखा है कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, लेकिन इसकी आड़ में हिंसा, आगजनी, हत्या और बलात्कार किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. संत कुमार घोष का आरोप है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ता और एक विशेष समुदाय के लोग मुर्शिदाबाद, मालदा और 24 परगना जैसे जिलों में हिंदू समाज को निशाना बना रहे हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार इन घटनाओं को रोकने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है. उन्होंने पत्र में यह भी दावा किया है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं की हत्या, लूटपाट और हमलों से डर का माहौल है, जिससे मजबूर होकर सैकड़ों गांवों के लोग घर-बार छोड़कर झारखंड की ओर पलायन कर रहे हैं. मृतकों के परिजनों ने भी इन घटनाओं की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर डाली है. घोष ने अपने पत्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है, साथ ही हिंसा में पीड़ित हिंदू परिवारों को मुआवजा देने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की भी अपील की है. शरणार्थियों के सहारे में विश्व हिंदू परिषद पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा से बेघर हुए लोगों को साहिबगंज जिले के राजमहल में शरण मिली है, जहां वे अपने रिश्तेदारों के घरों में अस्थायी रूप से रह रहे हैं. इन पीड़ित परिवारों की मदद के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सामने आई है. संगठन के जिला संयोजक गोपाल चंद्र साहा ने बताया कि जो शरणार्थी राजमहल क्षेत्र में पहुंचे हैं, उन्हें दो समय का भोजन और दैनिक उपयोग की वस्तुएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ममता सरकार की निष्क्रियता ही इस भयावह स्थिति की मुख्य वजह है. अगर समय रहते कदम उठाए जाते, तो इतने बड़े स्तर पर हिंसा और पलायन की नौबत नहीं आती.
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