BA के बाद MA करने की जरूरत नहीं, सीधे कर सकेंगे PhD

नयी दिल्ली : यूजीसी (UGC) देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है. देश के सभी विश्वविद्यालयों में संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों (Graduation Courses) की अवधि तीन से बढ़ाकर चार साल किये जाने की तैयारी है.... विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी (University Grants Commission, UGC) इस प्रस्‍ताव पर गंभीरता से विचार कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2019 4:48 PM
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नयी दिल्ली : यूजीसी (UGC) देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है. देश के सभी विश्वविद्यालयों में संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों (Graduation Courses) की अवधि तीन से बढ़ाकर चार साल किये जाने की तैयारी है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी (University Grants Commission, UGC) इस प्रस्‍ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है. चार साल की अवधि के पाठ्यक्रम के बाद छात्र सीधे पीएचडी (PhD) कर सकेंगे. चार साल वाले स्‍नातक कोर्स करने वाले छात्रों के लिए स्नातकोत्तर (Post Graduation) करना जरूरी नहीं रह जाएगा.

यूजीसी चेयरमैन प्रो डीपी सिंह का कहना है कि शिक्षा नीति में बड़े स्‍तर पर फेरबदल किया जाएगा. उन्‍होंने कहा, फिलहाल विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल का और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है. इसे पूरा करने के बाद ही किसी विद्यार्थी को पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है.

अब इस ढर्रे को बदला जाएगा. इस बाबत गठित यूजीसीकी एक विशेषज्ञ समिति ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए यूजीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें कई सिफारिशें की गई हैं.

यूजीसी के नये मसौदे के तहत स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे साल में शोध को केंद्र में रखा जा सकता है. इस दौरान विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाने की छूट भी होगी.

अगर कोई विद्यार्थी चार साल का स्नातक पाठ्यक्रम करने के बाद पीएचडी के बजाय स्नातकोत्तर करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने की छूट मिलेगी.

वर्तमान में तकनीकी शिक्षा के बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) या बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम हैं. उनके बाद विद्यार्थी सीधे पीएचडी मेंदाखिला ले सकते हैं.

इसके अलावा, कमेटी ने कई सिफारिशें की हैं. हर सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. यह नीति देश को नयी दिशा देने वाली होगी. इस वजह से इसके हर बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जाएगा. नयी नीति अगले साल से लागू की जा सकती है.

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