आजाद के इस ऐलान के बाद माना जा रहा है कि आगामी 2022 में होने वाले यूपी चुनाव में नया समीकरण बन सकता है. लेकिन आइये इससे पहले जानते हैं चंद्रशेखर के अब तक के सफर की पूरी कहानी.
सहारनपुर दंगा के बाद आये थे चर्चा में– साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा की एक घटना हुई. इस हिंसा में हजारों घर बेघर हो गया था. इस हिंसा के लिए प्रशासन ने भीम आर्मी और उसके प्रमुख चंद्रशेखरआजाद को आरोपी बनाया था. भीम आर्मी का पूरा नाम भारत एकता मिशन भीम आर्मी है और इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था.
एक साल तक रासुका के तहत जेल– यूपी की योगी सरकार ने चंद्रशेखर को एकसाल तक के लिए रासुका के तहत जेल भेज दिया था. हालंकि बाद में उनके मां द्वारा छोड़े जाने की गुहार के बाद सरकार ने उन्हें 48 दिन पहले ही छोड़ दिया था.
‘द ग्रेट चमार’ की मुहिम– दंगा के दौरान ही चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर ‘द ग्रेट चमार’ की मुहिम चलायी थी, जिसके बाद यह मुहिम देश के गांव-गांव तक पहुंच गयी थी.
लोकसभा चुनाव लड़ने पर यू-टर्न– चंद्रशेखर ने 2019 को लोकसभा चुनाव मे वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफऱ चुनाव लड़ने का बिगूल फूंका था, लेकिन ऐन वक्त उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की बात कहकर अपना कदम वापस खिंच लिया था.
मायावती से छत्तीस का आंकड़ा– बसपा प्रमुख मायावती समय-समय पर चंद्रश़ेखर आजाद पर हमला बोलते रहती है. कई बार मायावती चंद्रशेखर को भाजपा की बी टीम बता चुकी है. हालांकि रावण मायावती के साथ मिलकर काम करने की बात कई बार दोहरा चुके हैं.
कांग्रेस से संबंध- चंद्रशेखर का संबंध कांग्रेस से बढ़िया बताया जा रहा है. चंद्रशेखर द्वारा पार्टी की घोषणा से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि वे कांग्रेस में शामिल होंगे. आपको बता दें कि जेल के दौरान चंद्रेशखर की तबीयत बिगड़ गयी थी, जिसके बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी उनसे मिलने अस्पताल गयी थी.