12 हजार सैनिक, सबसे बड़ा गांव… आखिर यूपी के इस गांव की क्यों होती है चर्चा

Gahmar India Largest Village: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित गहमर सिर्फ आबादी के लिहाज़ से नहीं, बल्कि देशभक्ति और सैन्य परंपरा के लिए भी मशहूर है. करीब 1.35 लाख की आबादी वाले इस गांव में हर दूसरे घर से एक फौजी निकलता है. आज भी यहां के युवा सेना में भर्ती के लिए कठिन प्रशिक्षण लेते हैं. गहमर ने देश को अब तक 30 हजार से अधिक सैनिक और 40 से ज्यादा उच्च रैंकिंग सैन्य अधिकारी दिए हैं, जो इसे भारत का वीरों का गांव बनाते हैं.

By Ayush Raj Dwivedi | April 28, 2025 2:00 PM
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Gahmar India Largest Village: यूपी के गाजीपुर जिले में बसा गहमर गांव सिर्फ आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा गांव नहीं है, बल्कि यह अपने अनूठे सैन्य इतिहास और जज्बे के लिए भी जाना जाता है. इस गांव की आबादी लगभग 1.35 लाख है लेकिन जो बात इसे और खास बनाती है वह है यहां के लोगों का भारतीय सेना के प्रति अगाध प्रेम और समर्पण.

हर घर से एक फौजी

गहमर गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां हर दूसरे घर से कोई न कोई व्यक्ति फौज में अपनी सेवाएं दे चुका है या दे रहा है. गांव में वर्तमान में 15 हजार से ज्यादा लोग भारतीय सेना में कार्यरत हैं, जबकि करीब 15 हजार रिटायर्ड फौजी भी यहां निवास करते हैं. इस तरह लगभग 30 हजार लोग किसी न किसी रूप में सेना से जुड़े रहे हैं.

आज भी जवान तैयार हो रहे हैं

गांव में आज भी युवा सुबह-शाम फिजिकल ट्रेनिंग करते हुए नजर आते हैं. गांव के मैदानों में वर्कआउट करते हुए युवाओं का जोश और देशभक्ति देखने लायक होती है. यहां के लोग सेना में जाने को गर्व की बात मानते हैं और हर युवा का सपना होता है कि वह देश की सेवा करे.

अफसरों की भरमार

गहमर गांव ने भारतीय सेना को 42 लेफ्टिनेंट से लेकर ब्रिगेडियर तक के अधिकारी दिए हैं. इतना ही नहीं, इस समय भी 45 कर्नल रैंक के अधिकारी गहमर से भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं. यह आंकड़े इस गांव के गौरव और देशभक्ति के प्रतीक हैं.

सैनिकों के नाम पर टोले

गांव को 22 टोले में बांटा गया है और खास बात यह है कि हर टोले का नाम किसी न किसी सैनिक के नाम पर रखा गया है. यह परंपरा गांव के सैन्य इतिहास को दर्शाती है और यह दिखाती है कि गांववाले अपने सैनिकों का कितना सम्मान करते हैं.

युद्धों में भागीदारी, लेकिन कोई शहीद नहीं

गहमर गांव के सैनिकों ने 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध जैसे बड़े युद्धों में भाग लिया है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इतने बड़े योगदान के बावजूद गांव का कोई भी सैनिक अब तक युद्ध में शहीद नहीं हुआ. यह बात गांववालों को गर्व से भर देती है.

मां कामाख्या देवी का आशीर्वाद

गांव के लोगों की मां कामाख्या देवी में अटूट आस्था है. उनका मानना है कि देवी मां के आशीर्वाद से ही गांव का कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ है. गांव का हर फौजी जब भी ड्यूटी पर जाता है, तो मां का आशीर्वाद लेकर ही जाता है.

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