Divorce: सोशल मीडिया ने लोगों के मिलने-जुलने, सोचने-समझने और बातचीत करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है. हालांकि, इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. हाल के वर्षों में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल ने वैवाहिक और रोमांटिक रिश्तों में तनाव, अविश्वास और बेवफाई जैसी समस्याएं बढ़ा दी हैं. नतीजतन, तलाक की दर में काफी इजाफा हो रहा है. एडजुआ लीगल्स गूगल एनालिटिक्स 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, हैदराबाद और कोलकाता जैसे महानगरों में तलाक के मामलों में पिछले तीन वर्षों में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई है.
सोशल मीडिया बना रिश्तों में दरार का कारण
हाल ही में ‘कंप्यूटर्स इन ह्यूमन बिहेवियर’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, राज्य-दर-राज्य तलाक दरों की तुलना प्रति व्यक्ति फेसबुक खातों से की गई. अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से विवाह की गुणवत्ता में कमी आई है. शोध में यह भी पता चला कि जब फेसबुक उपयोगकर्ताओं की संख्या में 20% की वृद्धि हुई, तो महानगरों में तलाक की दर 2.18% से बढ़कर 4.32% हो गई. इसके अलावा, अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते हैं, वे अपने वैवाहिक जीवन में औसतन 11% अधिक खुश होते हैं.
दुनिया में तलाक और इसके प्रमुख कारण
एक अध्ययन के मुताबिक, यूके में तलाक लेने वाले तीन में से एक जोड़े ने स्वीकार किया कि वे अपने जीवनसाथी की तुलना में फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर अधिक समय बिताते थे. मिसौरी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि फेसबुक पर शुरू हुई छोटी-छोटी बहसें बेवफाई, रिश्ते में दरार और तलाक का कारण बन रही हैं.
देश का नाम | तलाक दर (प्रति हजार व्यक्ति) |
---|---|
मालदीव | 5.52 |
कजाकिस्तान | 4.6 |
रूस | 3.9 |
बेल्जियम | 3.7 |
बेलारूस | 3.7 |
मोल्दोवा | 3.3 |
चीन | 3.2 |
क्यूबा | 2.9 |
यूक्रेन | 2.88 |
अमेरिका | 2.7 |
भारत | 0.9 |
भारत में तलाक की स्थिति और कारण
भारत में तलाक की दर वैश्विक स्तर पर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन शहरीकरण और डिजिटल युग में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में तलाक के मामले तेजी से दर्ज हो रहे हैं.
भारत में उच्चतम तलाक दर वाले राज्य (प्रति हजार व्यक्ति)
राज्य का नाम | तलाक दर (प्रति हजार व्यक्ति) |
---|---|
महाराष्ट्र | 18.7 |
कर्नाटक | 11.7 |
पश्चिम बंगाल | 8.2 |
दिल्ली | 7.7 |
तमिलनाडु | 7.1 |
तेलंगाना | 6.7 |
केरल | 6.3 |
राजस्थान | 2.5 |
भारत में तलाक के संभावित कारण (फीसदी में)
कारण | फीसदी (%) |
---|---|
कमिटमेंट की कमी | 75.0 |
बेवफाई | 59.6 |
संघर्ष और बहस | 57.7 |
कम उम्र में शादी | 45.1 |
वित्तीय समस्याएं | 36.7 |
मादक द्रव्यों का सेवन | 34.6 |
घरेलू हिंसा | 23.5 |
भारत में तलाक की स्थिति और कारण
भारत में तलाक की दर वैश्विक स्तर पर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन शहरीकरण और डिजिटल युग में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में तलाक के मामले तेजी से दर्ज हो रहे हैं.
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सोशल मीडिया पर बेवफाई और ऑनलाइन संबंध
शोध में यह भी पाया गया है कि रोमांटिक रिश्ते में सोशल मीडिया इंटरैक्शन के प्रति अविश्वास अक्सर सही साबित होता है. हर 10 में से 1 वयस्क ने स्वीकार किया है कि वे अपने साथी से किसी अन्य व्यक्ति के मैसेज और पोस्ट छिपाते हैं. वहीं, लिव-इन में रहने वाले लगभग 8% वयस्कों ने गुप्त सोशल मीडिया अकाउंट और बैंक अकाउंट रखने की बात स्वीकार की है. इसके अलावा, हर तीन में से एक तलाक अब ऑनलाइन रिश्तों के कारण हो रहा है.
संदेह, जासूसी और ईर्ष्या में वृद्धि
सोशल मीडिया पर पार्टनर की गतिविधियों की अधिक जांच-पड़ताल से रिश्तों में संदेह और ईर्ष्या बढ़ जाती है. अध्ययन में पाया गया कि जब कोई व्यक्ति बार-बार अपने साथी की फेसबुक गतिविधि की जांच करता है, तो वह अधिक अविश्वास और संदेह से भर जाता है. इससे रिश्तों में दरार और मनमुटाव बढ़ते हैं, जो अक्सर तलाक का कारण बनता है.
शहरीकरण और रिश्तों पर तनाव
शहरी जीवनशैली की व्यस्तता, लंबे समय तक काम करने की मजबूरी, नौकरी का दबाव और वित्तीय चुनौतियां भी रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं. इन वजहों से रिश्तों के लिए समय की कमी होती है और अलगाव की स्थिति पैदा होती है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में तलाक के मामले अधिक दर्ज किए जा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि शहरीकरण भी वैवाहिक जीवन पर हावी हो रहा है.
सोशल मीडिया ने जहां लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए हैं. अत्यधिक सोशल मीडिया उपयोग से वैवाहिक जीवन में बेवफाई, अविश्वास और तनाव बढ़ रहे हैं. शहरीकरण और व्यस्त जीवनशैली ने भी रिश्तों में दरार डालने का काम किया है. अगर इन मुद्दों को समय रहते नहीं समझा गया तो आगे चलकर परिवार और रिश्तों पर इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं.
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एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक 2025 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्य, जो पितृसत्तात्मक समाजों के लिए जाने जाते हैं, में तलाक और अलगाव की दर अपेक्षाकृत कम है.