Home Opinion साहित्य के सच्चे सेवक हैं नामवर सिंह

साहित्य के सच्चे सेवक हैं नामवर सिंह

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प्रभात खबर में 20 जून के अंक में प्रीति सिंह परिहार के साथ डॉ नामवर सिंह का साक्षात्कार पढ़ा. 90 वर्ष के होने के बावजूद वे हिंदी साहित्य की अमूल्य सेवा कर रहे हैं.
उनके अनेक छात्रों में से एक मैं भी हूं. जहां कहीं भी उनका साक्षात्कार, समीक्षा या लेख देखता हूं, पढ़ जाता हूं. वे एक महान साहित्यकार होने के साथ महान चिंतक भी हैं. समाज और साहित्य के साथ चलते हैं. इसीलिए समाज और साहित्यकार का रिश्ता अटूट होता है.
डॉ सिंह राजनीति पर बेबाक कटाक्ष किया है कि राजनीति सिर्फ चुनाव जीत कर सत्ता हासिल करने तक ही सिमट कर रह गयी है. छल, कपट, ईष्र्या, द्वेष और व्यक्तिगत स्वार्थ राजनीति पर हावी हो गये हैं. समाज सेवा राजनीति से दूर चली गयी है. डॉ सिंह ने सामाजिक परिवर्तन व विकास को माना है, लेकिन बेरोजगारी को सामाजिक समस्या कहा है.
भगवान ठाकुर, तेनुघाट
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