भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने आह्वान किया है कि हमें संविधान की भावना के अनुरूप एक-दूसरे के प्रति सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए. उन्होंने रेखांकित किया है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मस्तिष्क में मानव सम्मान सर्वोच्च महत्व का विषय था. हमारा संविधान न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के साथ-साथ बंधुत्व की भावना एवं व्यक्ति के सम्मान को भी प्रतिष्ठित करता है. यदि हम आपस में परस्पर सम्मान का आचरण नहीं करेंगे और हमारे व्यवहार में बंधुत्व नहीं होगा, तो स्वाभाविक रूप से समाज में तनाव एवं संघर्ष का वातावरण बनेगा. ऐसा वातावरण विकास, व्यवस्था एवं समृद्धि के प्रयासों के लिए बड़ा अवरोध होगा. यह अक्सर देखा जाता है कि विभिन्न श्रेणियों में बंटे हमारे समाज में लोग अपने पेशेवर या व्यक्तिगत जीवन में कनिष्ठों, सहायकों और कमजोरों के साथ उचित व्यवहार नहीं करते हैं. प्रधान न्यायाधीश ने वाहन चालकों, सफाई कर्मियों और चपरासियों के साथ होने वाले व्यवहार का उदाहरण भी दिया. आये दिन हम खबरों में देखते हैं कि आलीशान अपार्टमेंटों में रहने वाले लोग सोसाइटी के सुरक्षाकर्मियों या ठेले पर सामान बेचने वालों के साथ मारपीट या गाली-गलौज करते हैं. कार्यस्थल हो, आवास हो या बाजार, पीड़ित आम तौर पर इस तरह के अपमानजनक बर्ताव को बर्दाश्त कर लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे कथित रूप से ‘बड़े लोगों’ का मुकाबला नहीं कर पायेंगे.
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