चांद का मुंह टेढ़ा है

– गजानन माधव मुक्तिबोध-... नगर के बीचों-बीच आधी रात–अंधेरे की काली स्याह शिलाओं से बनी हुई भीतों और अहातों के, कांच-टुकड़े जमे हुए ऊंचे-ऊंचे कंधों पर चांदनी की फैली हुई संवलायी झालरें. कारखाना–अहाते के उस पार धूम्र मुख चिमनियों के ऊंचे-ऊंचे उद्गार–चिह्नाकार–मीनार मीनारों के बीचों-बीच चांद का है टेढ़ा मुंह!! भयानक स्याह सन तिरपन का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2017 12:55 PM
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