सपने सच होते हैं की पहली कड़ी यहां पढ़ें
इस लेख में अमृत लाल नागर, नरेंद्र मोहन, तुषारकांति घोष, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायायन अज्ञेय, अशोक जैन, एम. वी. कामथ जैसे कुछ शीर्ष पत्रकारों, लेखकों और अखबार मालिकों से हुए मेरे निजी अनुभव हैं. यहां उन लोगों का जिक्र जानबूझ कर नहीं किया गया है जो अभी जीवित हैं. अन्यथा ये लेख उनकी चापलूसी समझा जायेगा. कहीं-कहीं इस लेख में जिक्र किए गए पत्रकारों और लेखकों के गुरूओं की भी चर्चा की गई है. इससे उनके व्यक्तित्व को ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है. इस सब को लिखने के पीछे कारण यह है कि आज की पीढ़ी भी गुजरे जमाने के इन शीर्षस्थ व्यक्तियों के बारे में जान सके.
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