आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती है. उनका जन्म 23 सितंबर 1908 में बिहार के मुंगेर जिले में हुआ था. दिनकर आजादी के पूर्व विद्रोही कवि के रूप में जाने जाते थे, उनकी कविताओं में ओज गुण की प्रधानता है, साथ ही वे लोगों को क्रांति के लिए उद्वेलित भी करते हैं. हालांकि उनकी रचनाओं में श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति भी होती है. उनकी रचना ‘उर्वशी’ में इसके प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं. वे 1950 से 1952 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे थे. उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया था. उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था. उनके काव्य कुरुक्षेत्र को विश्व के सौ सर्वश्रेष्ठ काव्यों में शामिल किया गया है. उनकी महानतम कृतियों में ‘रश्मिरथी, ‘परशुराम की प्रतीक्षा, सीपी और शंख शामिल है. आज उनकी जयंती पर पढ़ें उनकी ऐसी रचनाएं जो हमारे जुबान पर चढ़ीं हैं. इमरजेंसी के दौरान जयप्रकाश नारायण ने उनकी कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है … गाकर लोगों को जमा किया था.
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