अरुण देव मूलत: उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं. अबतक दो कविता संग्रह ‘क्या तो समय’ भारतीय ज्ञानपीठ से 2004 में और ‘कोई तो जगह हो’ राजकमल प्रकाशन से 2013 में प्रकाशित है. ‘कोई तो जगह हो’ के लिए उन्हें 2013 का राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त है. उनकी कविताओं के अनुवाद असमी, कन्नड़, तमिल, मराठी, नेपाली, अंग्रेजी आदि भाषाओं में हुए हैं. संप्रति अरुण देव पिछले छह वर्षों से हिंदी की वेब पत्रिका ‘समालोचन’ का संपादन कर रहे हैं. इन्होंने जेएनयू से शिक्षा प्राप्त की है और एसोसिएट प्रोफेसर भी रहे हैं. इनकी कविताओं में सामाजिक सरोकार बखूबी नजर आता है.
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