नहीं रहा साहित्य जगत का एक सबल स्तंभ नंदकुमार ‘उन्मन’

जमशेदपुर : प्रलय की विभीषिका में/ शीत झेलते/ नौका पर परंपरागत/ बीज को ढोते/ मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / नष्ट करने होंगे / विषाणु से सड़े-गले / रूढ़िग्रस्त बीज !... नंदकुमार उन्मन के असामयिक निधन से रूढ़ियों का शिकार बन चुके परंपरागत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2017 10:40 AM
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जमशेदपुर
: प्रलय की विभीषिका में/ शीत झेलते/ नौका पर परंपरागत/ बीज को ढोते/ मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / नष्ट करने होंगे / विषाणु से सड़े-गले / रूढ़िग्रस्त बीज !

बिहार के शिवहर जिला के तरियानी छपरा गांव के मूल निवासी नंदकुमार सिंह ‘उन्मन’ का कर्मक्षेत्र मुख्य रूप से जमशेदपुर ही रहा, लेकिन उनकी साहित्यिक मेधा शहर और राज्य की सीमाएं लांघते हुए राष्ट्रीय फलक तक पहुंची और साहित्य संसार में समादृत भी हुई. जनवादी लेखक संघ से जुड़े ‘उन्मन’ वर्तमान में जनवादी लेखक संघ की सिंहभूम इकाई के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय समिति के सदस्य थे. इसके अलावा नगर की अनेक संस्थाओं से उनका संबंध रहा. आज मेहरबाई अस्पताल में निधन से पूर्व नगर के एक दर्जन से अधिक साहित्यकार उन्हें देखने और हालचाल जानने पहुंचे. सबने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. आज उनसे मिलने पहुंचनेवालों में नगर के वरीय साहित्यकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’, मनोकामना सिंह अजय, राजदेव सिन्हा, श्यामल सुमन, उदय प्रताप हयात, चंद्रकांत, अशोक शुभदर्शी तता अन्य अनेक साहित्यकार शामिल थे.

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