जमशेदपुर : प्रलय की विभीषिका में/ शीत झेलते/ नौका पर परंपरागत/ बीज को ढोते/ मैं मनुस्मृति नहीं गढ़ सकता / मुझे उगाने होंगे / घने अंधेरे में / चेतना के अंकुर / नष्ट करने होंगे / विषाणु से सड़े-गले / रूढ़िग्रस्त बीज !
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