इश्क़ ने ”ग़ालिब” निकम्मा कर दिया ….

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के जी हां यह कुछ पंक्तियां हैं, जो अकसर हमारे जुबां पर होती है और इन सदाबहार शेर के रचयिता हैं मिर्जा गालिब. मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान यानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2017 10:37 AM
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