Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया आज, 17 साल बाद बना है दुर्लभ राजयोग का संयोग, जानें खरीदारी करने का शुभ समय

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख शुक्ल तृतीया में 30 अप्रैल को रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में मनायी जायेगी. इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ, धर्मकृत्य, हवन, अनुष्ठान सहित हर शुभ कार्य अक्षय फल देता है. कोई भी शुभ कार्य या नई शुरुआत के लिए स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है. इस दिन धार्मिक कार्य, शुभ या मांगलिक कार्य करने से सहस्त्र गोदान का पुण्य एवं अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं. आचार्य राकेश झा ने बताया कि आज अक्षय तृतीया पर 17 साल बाद बुधवार दिन और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इसके अलावे आज परिजात, गजकेसरी, केदार, हर्ष, काहल, उभयचरी समेत दस महायोग भी बन रहा है.

By Radheshyam Kushwaha | April 30, 2025 8:04 AM
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Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर आज बुधवार को रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग का खास संयोग है. इस दिन खरीदी गयी चीजों का क्षय नहीं होता है. परंपरा के अनुसार अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी, वाहन और भूमि खरीदने का शुभ योग है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है, इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है्र. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, लेकिन वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गयी है. अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व रखता है. इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों, घर, भूखंड, वाहन की खरीददारी कर सकते हैं.

खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त

पं.प्रभात मिश्र ने बताया कि इस बार वाहन एवं भूमि खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 9.45 से शाम 5.57 तक है. वही सोना, चांदी, रत्न व अन्य समान की खरीदारी सुबह में 9.08 से रात्रि 7.15 मिनट तक है. इस तिथि को नवीन वस्त्र, आभूषण धारण करने और नई संस्था की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान करने व भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण, पिंडदान या किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करें तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, इसलिए इस दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान मांगना चाहिये. चारों युगों जैसे सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग में से त्रेतायुग का आरंभ इसी दिन हुआ था, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहते हैं.

राशि के अनुसार खरीदारी और दान

मेष राशि: सोने की अंगूठी खरीदें तथा जौ व अनाज का दान करें.
वृष राशि: चांदी के सिक्के या पायल खरीदे और ऋतुफल का दान करें.
मिथुन राशि: स्वर्ण या रजत के आभूषण खरीदे तथा हरी सब्जी या फल का दान करें.
कर्क राशि: चांदी की कोई भी वस्तु खरीदे और नये वस्त्र या फल का दान करें.
सिंह राशि: स्वर्ण आभूषण खरीदे तथा ब्राह्मणों या जरूरतमंद को भोजन का दान करें.
कन्या राशि: सोने की चूड़ी, नथ या अंगूठी खरीदें एवं मंदिर में फल का दान करें.
तुला राशि: चांदी की पायल खरीदें और आटा, दूध, दही जैसे सफेद वस्तुओं का दान करें.
वृश्चिक राशि: सोने के गहने, तांबा का बर्तन खरीदना तथा मिष्ठान का दान करें.
धनु राशि : सोने का आभूषण खरीदे और गरीबों को फल का दान करें
मकर व कुंभ राशि: सोने या चांदी के आभूषण व फर्नीचर खरीदे तथा ब्राह्मण को मिठाई या चना का दान करें.
मीन राशि: सोने के आभूषण या वाहन खरीदे एवं पीले रंग की मिठाई का दान करें.

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