पापमोचनी एकादशी 2025 कल, पूजा-पाठ में न करें ये भूलें, जानें शुभ विधि
Papmochani Ekadashi 2025: शास्त्रों में पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करने से मना किया गया है. आइए जानते हैं कि इस दिन किन कार्यों से बचना चाहिए.
By Shaurya Punj | March 24, 2025 8:01 AM
Papmochani Ekadashi 2025 Precaution: पापमोचिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है. यह व्रत हर वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आयोजित किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह एकादशी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है. यह पूर्वजन्म और वर्तमान जन्म के सभी पापों से मुक्ति दिलाने के कारण इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है.
कल है पापमोचिनी एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष, पापमोचनी एकादशी 25 मार्च को आयोजित की जाएगी. यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च को प्रातः 5:05 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 26 मार्च को प्रातः 3:45 बजे होगा.
पारण का समय- पापमोचिनी एकादशी के व्रत का पारण 26 मार्च को प्रातः 6:17 बजे से 8:45 बजे तक किया जाएगा.
पापमोचिनी एकादशी पर ना करें ये काम
एकादशी के दिन सुगंधित वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह काम भावना को उत्तेजित करता है और शरीर तथा मन की अशुद्धता को बढ़ाता है. इसलिए, इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए.
इसके अलावा, इस दिन मसूर की दाल, गाजर, शलजम, गोभी, पालक आदि का भी सेवन करने से बचना चाहिए.
परंपरा के अनुसार, एकादशी और द्वादशी तिथि के दिन बैंगन का सेवन अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए.
इस दिन बाल और नाखून भी नहीं काटने चाहिए.
एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि चावल का संबंध जल से है और जल का संबंध चंद्रमा से होता है. चंद्रमा को मनुष्य के मन का स्वामी और सफेद रंग का अधिपति माना जाता है, इसलिए जल तत्व के कारण अक्सर धोखा हो सकता है.
एकादशी के दिन वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, बल्कि केवल स्वयं गिरा हुआ पत्ता ही उपयोग में लाना उचित है.
शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से नरक की प्राप्ति होती है. इसलिए इन चीजों से दूर रहना चाहिए.
इसी प्रकार, एकादशी के दिन सेम का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे संतान के लिए हानिकारक माना गया है.
इस दिन जौ का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि ‘जौ’ महर्षि मेधा के शरीर से उत्पन्न हुआ है. इसलिए, एकादशी के दिन जौ का सेवन निषिद्ध है.
एकादशी के दिन सुबह दातुन नहीं करना चाहिए. इसके बजाय, नीबू, जामुन या आम के पत्तों को चबाकर अंगुली से गले को साफ करने की परंपरा है. यदि यह करना संभव न हो, तो पानी से बारह बार कुल्ले करना चाहिए.