शीतला सप्तमी 2025 पर बन रहे तीन शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Sheetala Saptami 2025: शीतला सप्तमी का पर्व माता शीतला को समर्पित है. यह त्योहार होली के बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, अर्थात् होली के सातवें दिन शीतला सप्तमी का आयोजन किया जाता है. इस दिन तीन विशेष योगों का निर्माण होगा, आइए इसके बारे में जानते हैं.

By Shaurya Punj | March 20, 2025 7:43 AM
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Sheetala Saptami 2025: शास्त्रों में शीतला सप्तमी के व्रत का अत्यधिक महत्व वर्णित है. वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत आयोजित किया जाता है. इस दिन भक्तगण विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ माता शीतला की पूजा करते हैं. इसके बाद, अगले दिन शीतला अष्टमी पर माता को बसौड़े का भोग अर्पित किया जाता है. इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग दिया जाता है, और पूरा परिवार भी एक दिन पहले से तैयार किए गए बासी भोजन का सेवन करता है. मान्यता है कि देवी माता शीतला की पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

कब है शीतला सप्तमी

हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि 21 मार्च को सुबह 02:45 बजे शुरू होगी और 22 मार्च 2025 को सुबह 04:23 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, शीतला सप्तमी व्रत 21 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

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शीतला सप्तमी पर बन रहे हैं ये 3 शुभ संयोग

  • सिद्धि योग- यह योग शाम 6 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस समय मां शीतला की पूजा करने से शुभ कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है.
  • रवि योग- शीतला सप्तमी के दिन रवि योग का भी संयोग है. इस योग में मां शीतला की साधना करने से स्वास्थ्यपूर्ण जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
  • भद्रावास योग- शीतला सप्तमी पर दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक भद्रावास योग विद्यमान रहेगा.

शीतला सप्तमी का महत्व

यह माना जाता है कि शीतला सप्तमी के अवसर पर माता शीतला की सही तरीके से पूजा करने से वे अपने भक्तों को चेचक, खसरा और अन्य कई बीमारियों से सुरक्षित रखती हैं.

शीतला माता को अर्पित करते हैं बसौड़ा

शीतला माता को बसौड़े का भोग समर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता शीतला सभी प्रकार के दुखों को समाप्त कर देती हैं. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, माता शीतला की आराधना करने से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और मानसिक तथा शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं.

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