Sunil Gavaskar 76th Birthday:सुनील गावस्कर, जिन्हें दुनिया भर में ‘लिटिल मास्टर’ के नाम से जाना जाता है, भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी. आज (10 जुलाई) गावस्कर अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने भारत के लिए 16 वर्षों तक एक मुख्य बल्लेबाज की भूमिका निभाई और इस दौरान कई अहम व ऐतिहासिक पारियां खेलीं.
टेस्ट क्रिकेट के पायनियर का 34 शतक का सफर
गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने। मार्च 1987 में यह मुकाम हासिल करते हुए उन्होंने इतिहास रच दिया था. उन्होंने कुल 125 टेस्ट मैच खेले और 10,122 रन बनाए, जिसमें 34 शतक शामिल थे. यह रिकॉर्ड कई वर्षों तक अटूट रहा, जब तक कि 2005 में सचिन तेंदुलकर ने इसे पार नहीं किया.
गावस्कर का शतक बनाने का हुनर, विशेष रूप से तेज गेंदबाजों के खिलाफ, उन्हें अपने समय के सबसे भरोसेमंद और क्लासिकल बल्लेबाजों में से एक बनाता है. वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी टीमों के खिलाफ उन्होंने लगातार प्रदर्शन कर यह साबित किया कि वह किसी भी गेंदबाजी आक्रमण के सामने टिक सकते हैं.
1️⃣9⃣8⃣3⃣ World Cup-winner 🏆
— BCCI (@BCCI) July 10, 2025
233 international matches 👍
13,214 runs in international cricket 👌
First batter to score 1️⃣0⃣0⃣0⃣0⃣ runs in Tests 🔝
Here's wishing Sunil Gavaskar – former #TeamIndia Captain & batting legend – a very Happy Birthday! 🎂👏 pic.twitter.com/mBCMwsDWcm
वेस्टइंडीज के विरुद्ध गावस्कर की जंग
1971 में जब सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि यह खिलाड़ी इतनी बड़ी छाप छोड़ेगा. अपनी डेब्यू टेस्ट सीरीज में ही उन्होंने 774 रन बनाए, जो आज भी किसी भी खिलाड़ी द्वारा डेब्यू सीरीज में बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है. इस सीरीज में उन्होंने चार शतक और तीन अर्धशतक जमाए और भारत को पहली बार वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभाई.
वेस्टइंडीज की टीम उस समय दुनिया की सबसे खतरनाक गेंदबाजी लाइन-अप के लिए जानी जाती थी, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर और जेफ थॉम्पसन जैसे धुरंधरों के खिलाफ गावस्कर ने बिना डरे रन बनाए। वह हमेशा कैरिबियाई गेंदबाजों के खिलाफ एक अलग ही जोश में नजर आते थे. गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कुल 27 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 13 शतक लगाए. यह किसी भी खिलाड़ी द्वारा वेस्टइंडीज के खिलाफ सबसे अधिक शतक का रिकॉर्ड है. यह उनके आत्मविश्वास, तकनीकी क्षमता और मानसिक मजबूती को दर्शाता है.
जब अनुभव ने भारत को दिलाया सम्मान
गावस्कर सिर्फ महान बल्लेबाज ही नहीं, एक शानदार कप्तान भी रहे. 1983 में जब भारत ने कपिल देव की अगुवाई में वर्ल्ड कप जीता, तब गावस्कर टीम का हिस्सा थे. हालांकि उस टूर्नामेंट में उनका बल्ला खामोश रहा, लेकिन उनका अनुभव और टीम में मौजूदगी बेहद अहम रही.
इसके बाद 1984-85 में बेंसन एंड हेजेज वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट में उन्होंने टीम की कप्तानी की और भारत को चैंपियन बनाया. यह टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलिया में खेला गया था और इसमें भारत ने पाकिस्तान, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीमों को हराया. एक बार फिर, बल्ले से नहीं लेकिन नेतृत्व से गावस्कर ने साबित किया कि वह टीम के असली लीडर हैं.
संन्यास के बाद भी गावस्कर क्रिकेट से जुड़े रहे और आज भी वह कमेंट्री बॉक्स में अपनी बेहतरीन विश्लेषणात्मक समझ और तीखी टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. उनकी आवाज और विचार आज भी क्रिकेट प्रेमियों को उतने ही प्रिय हैं, जितने उनकी बल्लेबाजी के दिन हुआ करते थे.
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