INDvsAUS: अगर होती हॉटस्पॉट तकनीक तो राहुल नहीं होते आउट! क्या है यह तकनीक
INDvsAUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले दिन बल्लेबाजों पर कहर टूटा. पहले भारतीय बल्लेबाज जूझते नजर आए तो तीसरे सेशन में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी बिखर गई. बुमराह ने तो कप्तानी का नया रूप ही दिखा दिया. हालांकि एक वाकया और हुआ जिस पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. भारतीय पारी में केएल राहुल (KL Rahul) जब सेटल हो रहे थे, तभी उन्हें विवादास्पद रूप से आउट दे दिए गए. लेकिन एक ऐसी तकनीक भी है, अगर वह होती तो शायद राहुल जरूर बच जाते.
By Anant Narayan Shukla | November 23, 2024 7:51 AM
INDvsAUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले टेस्ट में कप्तान जसप्रीत बुमराह ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी चुनी. पर्थ के इस रफ्तार और बाउंस से भरी पिच पर भारतीय ओपनर्स संघर्ष करते नजर आए. यशस्वी जायसवाल तो स्टार्क की गेंद पर लालच का शिकार हुए और स्लिप में कैच आउट हो गए. यशस्वी के बाद देवदत्त पडिक्कल और उनके बाद विराट भी आउट हो गए. लेकिन दूसरी तरफ केएल राहुल जरूर संघर्ष करते हुए विकेट पर टिके रहे. 23वें ओवर की तीसरी गेंद पर राहुल ने रक्षात्मक रुख अपनाते हुए गेंद को रोकना चाहा, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने कैच आउट की जोरदार अपील की, जिसे ऑनफील्ड अंपायर ने नकार दिया. पैट कमिंस ने डीआरएस लिया. जिस पर मामला थर्ड अंपायर के पास भेजा गया. थर्ड अंपायर ने स्निकोमीटर का उपयोग कर काफी देर तक जांच करने के बाद राहुल को आउट करार दिया. लेकिन उन्हें जो फुटेज दिखाई गई, उससे यह साफ नहीं हो रहा था कि क्या गेंद उनके बल्ले को छूकर गई है.
"His pad and bat are not together at that point in time as the ball passes.
"It's (bat hitting pad) after, in fact, the ball passes the edge. Does Snicko pick up the sound of the bat hitting the pad?
"We're assuming (Snicko) may be the outside edge of the bat but that may not… pic.twitter.com/hvG0AF9rdo
स्टार्क की गेंद पर राहुल ने जब बैट चलाया तो उसी फ्रेम मे उनका बैट गेंद के साथ पैड से भी टकराता दिख रहा है. जिससे यह साफ कर पाना मुश्किल हो रहा था, कि गेंद ने बैट को टच किया है या पैड को. भारत के पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने कहा कि वे होते तो राहुल को जरूर नॉटआउट देते. हालांकि एक तकनीक और है, यदि वह होती तो भारतीय बल्लेबाज जरूर बच जाते. हॉटस्पॉट तकनीक. इस तकनीक में, दो थर्मल इमेजिंग (इन्फ्रारेड) कैमरे मैदान के विपरीत छोर पर लगाए जाते हैं और वे गर्मी के संकेतों को पकड़ लेते हैं जो गेंद बल्लेबाज के बल्ले, पैड या शरीर के किसी भी हिस्से को छूने पर घर्षण के माध्यम से उत्पन्न होती है. वैसे इस तकनीक का उपयोग हाल के वर्षों कम हो गया है क्योंकि यह एक सैन्य तकनीक है और ब्राडकास्टर्स के लिए बहुत महंगी है. इसकी लागत प्रतिदिन लगभग 10,000 डॉलर है. यानी कि लगभग 8 लाख 50,000 रुपए प्रतिदिन.
डीआरएस कॉल के समय हॉटस्पॉट का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
आईसीसी ने कभी भी अपने किसी भी टूर्नामेंट के लिए डीआरएस कॉल में उपयोग की जाने वाली तकनीकों में से एक के रूप में हॉटस्पॉट को शामिल नहीं किया है. द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में इसका उपयोग करने का निर्णय पूरी तरह से व्यक्तिगत बोर्डों और प्रसारकों पर छोड़ दिया गया है. तकनीक महंगी होने की वजह से सभी बोर्ड इससे बचते हैं और स्निकोमीटर का ही उपयोग करते हैं. हालांकि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड एकमात्र बोर्ड था, जिसने घरेलू मैचों के दौरान बड़े पैमाने पर इस टेक्नॉलॉजी का उपयोग किया था लेकिन अब उन्होंने भी इसका उपयोग कम कर दिया है. बीसीसीआई ने भी लागत और अशुद्धि के कारण इसके उपयोग का विरोध किया है.
पर्थ टेस्ट में पहले दिन भारतीय बल्लेबाजी 150 रन के स्कोर पर ऑलआउट हुई तो भारतीय कप्तान जसप्रीत बुमराह ने भी तहलका मचाते हुए कंगारू पारी में खलबली मचा दी. भारत का कोई भी बल्लेबाज 50 रन का आंकड़ा नहीं छू सका, तो ऑस्ट्रेलिया की तरफ से कोई भी बल्लेबाज 20 रन से ज्यादा नहीं बना सका और मात्र 67 रन पर 7 विकेट गंवा दिए. जसप्रीत के शुरुआती झटके से ऑस्ट्रेलिया उबर नहीं सका और 19 रन पर ही 3 विकेट गंवा दिए. उनके बाद सिराज ने भी कहर ढाते हुए दनादन दो विकेट निकाल दिए. भारतीय गेंदबाजों के लिए सिरदर्द रहे ट्रेविस हेड को डेब्यू कर रहे हर्षित राणा ने क्लीन बोल्ड कर दिया. ऑस्ट्रेलिया पहले दिन का खेल समाप्त होने तक 27 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 67 रन ही बना पाया है. मैच के दूसरे दिन कप्तान जसप्रीत बुमराह जल्द से जल्द तीनों विकेट निकालकर भारत को बल्लेबाजी क्रीज पर लाना चाहेंगे. फिलहाल भारत के पास 83 रन की लीड है.