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मैं अपने दोस्त का समय बर्बाद कर रहा हूं: तेंदुलकर
तेंदुलकर ने बुधवार को कहा, ‘अपने जीवन के पहले मैच में मैंने साहित्य सहवास के अपने सभी मित्रों को बुलाया था. मैं अपनी कॉलोनी का मुख्य बल्लेबाज था और मैंने उन्हें मैच देखने के लिए बुलाया था. मेरे सभी मित्र आए और मैं पहली गेंद पर आउट हो गया जो काफी निराशाजनक था.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ बहाने बनाए जो आमतौर पर गली क्रिकेट में स्वीकार्य होते थे. मैंने कहा कि गेंद नीची रह गई थी और वे सभी मान गए. मैंने अगले मैच में उन्हें फिर बुलाया और मैं फिर पहली गेंद पर आउट हो गया.’ मास्टर ब्लास्टर के नाम से मशहूर तेंदुलकर ने कहा, ‘मैंने फिर बहाना बनाया और कहा कि गेंद थोड़े अधिक उछाल के साथ आई थी और यह पिच की गलती थी, मेरी नहीं. लेकिन तीसरे मैच में मैंने कहा कि मैं उन्हें नहीं बुलाऊंगा क्योंकि मैं उनका समय बर्बाद कर रहा हूं. जब मैंने तीसरे मुकाबले में एक रन बनाया तब मुझे एक रन बनाने की अहमियत पता चली. उन्होंने कहा, ‘मैं गया और मैंने एक रन बनाया. मुझे याद है कि मैंने पांच-छह गेंद खेली और एक रन बनाकर आउट हुआ. लेकिन कहीं मैं खुश था, मैंने एक रन बनाया था. मैं शिवाजी पार्क से बांद्रा वापस गया. बस का यह सफर सुखद था क्योंकि मैंने एक रन बनाया था.’
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मैच में एक रन बनाकर खुश हुए थे सचिन
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जड़ने वाले इस एकमात्र बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘मैंने एक रन बनाने की अहमियत महसूस की क्योंकि बाद में सभी कहते थे कि एक रन आप पर भारी पड़ सकता है, आप जीत सकते हैं या हार सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह इतना बड़ा बदलाव था. शुरुआती दो मैच में मैंने शून्य बनाया और फिर एक रन बनाया और घर चला गया. उस एक रन ने मेरा मूड बदल दिया.’
साहित्य सहवास में स्ट्रेट ड्राइव खेलने सीखे थे सचिन
सचिन ने साथ ही इस बात का भी खुलासा किया कि शहर में अपने पहले घर बांद्रा के साहित्य सहवास में स्ट्रेट ड्राइव खेलने से उन्हें इस शॉट में माहिर बनने में मदद मिली और बाद में उनके कोच रमाकांत आचरेकर ने इसे और निखारा. तेंदुलकर ने इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (आईएसपीएल) के कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘मेरा पसंदीदा शॉट गेंदबाज के पीछे स्ट्रेट ड्राइव था. मैंने साहित्य सहवास में यह शॉट खेलना शुरू किया क्योंकि वहां (गेंदबाज के पीछे) कोई क्षेत्ररक्षक नहीं होता था.’ उन्होंने कहा, ‘जब मैं शिवाजी पार्क गया और आचरेकर सर के साथ अभ्यास शुरू किया तो वह मुझे कहते थे कि मुझे बिलकुल सीधे बल्ले के साथ खेलना चाहिए और यह गेंद को खेलने का सबसे सुरक्षित तरीका है.’
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