लंगट सिंह कॉलेज में एक सदी पहले से खगोलशास्त्र पढ़ाया जा रहा है, लेकिन संस्थान पर सरकार की नजर नहीं है. 123 साल के लंबे सफर में कई ऐतिहासिक घटनाओं और बिहार की समृद्ध विरासत को सहेजे यह संस्थान बिहार व केंद्र सरकार की मदद के इंतजार में है. स्थिति यह है कि जिस कॉलेज में 1916 से खगोल शास्त्र की पढ़ाई होती हैं, वहां आज भी स्नातक स्तर पर बच्चों को भूगोल पढ़ने के लिए अधिक फीस देनी पड़ रही, क्योंकि यह विषय सेल्फ फाइनेंस मोड में संचालित किया जाता है. अन्य विषयों की तरह रेगुलर मोड में भूगोल को शामिल करने के लिए कॉलेज की ओर से कई बार सरकार को पत्र भेजा जा चुका है. वहीं भूगोल में पीजी की पढ़ाई के लिए भी कॉलेज से प्रस्ताव भेजा गया है. विश्वविद्यालय ने सिंडिकेट और सीनेट से अप्रुवल के बाद सरकार को आवेदन भेजा है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है. प्राचार्य प्रो आपी राय ने बताया कि स्नातक स्तर पर भूगोल को रेगुलर मोड में शामिल करने और कॉलेज में पीजी के नामांकन की अनुमति के लिए आवेदन किया गया है. वे खुद भी राजभवन व सरकार के स्तर पर पहल कर रहे हैं.
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