पहला ‘ ई ‘, ट्रैफिक की इंजीनियरिंग
इसमें सड़क बनाने से लेकर उनको बेहतर – सुरक्षित रखना, सिग्नल और संकेत व्यवस्था को दुरुस्त रखना, सभी उपयोगकर्ताओं – ड्राइवरों, पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों आदि को सुगम रास्ता मिले, वेंडिंग जोन, पार्किंग आदि का इंतजाम है. इसके विपरीत, शहरों में सड़क बनना तो दूर जो बनी हुई हैं वह भी नाला, पाइपलाइन आदि के लिए खोद दी जा रही हैं. सड़कों पर अतिक्रमण और होर्डिंग , बैनर, पोस्टर, झंडी सुरक्षित यातायात में अलग से बाधक बने हैं.
दूसरा ‘ ई ‘ एजुकेशन :
यानी सड़क पर चलने वाले लोग ट्रैफिक आदि नियमों को जानने और उनका पालन करने के प्रति कितने जागरूक हैं. चार दिन की पड़ताल में पाया गया कि ड्राइविंग कॉलेज गए बिना लाइसेंस हासिल करने वाले अधिकतर वाहन चालक ट्रैफिक संकेत तक नहीं समझ पा रहे. वाहन चलाने में हेलमेट को छोड़ अन्य नियमों का पालन नहीं कर रहे.
तीसरा ‘ ई ‘ एनफोर्समेंट
इसमें ट्रैफिक में बाधा बनने वाले तत्वों पर शासन- प्रशासन, पुलिस की कार्रवाई आती है. स्थानीय प्रशासन और पुलिस रोड पर अतिक्रमण करने वालों, ट्रैफिक रूल्स का पालन न करने वालों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रही है. सड़क की खराब डिजाइन- निर्माण और रखरखाव नहीं करने पर सड़क बनाने वाले ठेकेदार पर एमवी एक्ट की धारा 198 ए में कार्रवाई की जानी है. नाबालिग बच्चों को वाहन देने पर 25 हजार रुपये जुर्माना के साथ ही वाहन का निबंधन एक साल के लिए रद्द कर चलाने के लिए वाहन देने वाले को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में तीन साल की सजा दिलायी जानी है. सात जिलों में शायद ही किसी पर यह कार्रवाई की गई है. शहरों में कैमरे लगे हैं लेकिन उनकी फुटेज देखकर कार्रवाई और सुधार के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बाजार-ऑफिस, स्कूलों का समय अंतराल जरूरी : वैज्ञानिक डॉ रवीन्द्र
डी कैपेसिटी में पहुंच चुके उत्तर बिहार के ट्रैफिक को पटरी पर लाने के लिए पब्लिक और शेयरिंग ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने की जरूरत है. यह सुझाव है सीएसआईआर- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के विभाग प्रमुख एवं मुख्य वैज्ञानिक टीपीई डॉ रवींद्र कुमार का. वह कहते हैं, बड़े वाहनों की शहर में एंट्री रोककर वन वे की संभावना देखनी होगी. बाजारों, स्कूलों और सरकारी- गैर सरकारी कार्यालयों में समय का अंतराल किया जाये. यानि कुछ आफिस का समय सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक , कुछ का समय सुबह नौ से पांच तो कुछ का पूर्वाह्न साढ़े दस बजे से साढ़े छह बजे का करने से पीक आवर्स ट्रैफिक को कंट्रोल किया जा सकता है. बाजार और स्कूलों पर भी यह व्यवस्था लागू की जा सकती है. पार्किंग लाइसेंस और साइकिलिंग को भी बढ़ावा मददगार होगा.
उत्तर बिहार के शहरों के यातायात को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासन से समन्वय कर सड़कें विधिवत मेंटेन रहें, अतिक्रमण, वेंडिंग जोन , पार्किंग की समस्या को दूर कराने की कोशिश की जायेगी. यातायात के किसी भी नियम का उल्लंघन करने वालों पर एक्ट के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. इसके लिए कैमरों की भी मदद ली जायेगी. जरूरत के अनुसार बल भी उपलब्ध कराने का प्रयास होगा. लोगों को भी जागरूक किया जायेगा.
सुधांशु कुमार, एडीजीपी (यातायात)