कहलगांव प्रखंड के देवरी महेशपुर वंशीपुर में चल रहे तीन दिवसीय अखिल भारतीय संतमत सत्संग के 114वें अधिवेशन के तीसरे दिन सोमवार को प्रवचन करते हुए चतुरानंद जी महाराज ने कहा कि विचारा हुआ ज्ञान मजबूत होता है. घड़ा दो तरह का होता है कच्चा और पक्का. कच्चे घड़े में पानी नहीं ठहरता. उसी कच्चे घड़े को अगर आग पर चढ़ा कर ताप दिखला दीजिए, तो वह पक्का हो जायेगा और वर्षों उसमें पानी ठहरा रहेगा. उसी तरह विचार की कसौटी पर कसा हुआ ज्ञान टिकाऊ होता है. भगवान् बुद्ध ने कहा है कि किसी की बात को इसलिए नहीं मान लें कि वह बहुत बड़ा विद्वान है, इसलिए भी नहीं मान लें कि वह धर्मशास्त्र का हवाला देता है, इसलिए नहीं माने कि उस बात को बहुत लोग मानते हैं. बल्कि इसलिए मानें कि वह आपके विचार की कसौटी पर खरी उतरता है. लोगों को विचारपूर्वक कार्य करना चाहिए. कार्य करने के पहले जो विचारता है, उसे बुद्धिमान कहते हैं. करने के समय जो विचारता है. उसे सतर्क कहते हैं और काम करने के बाद जो विचारता है, उसे मूर्ख कहते हैं. उन्होंने माया के बारे में कहा कि माया सत्य प्रतीत होती है; परन्तु सत्य है नहीं. ज्ञान और कर्म की जितनी भी इंद्रियां हैं, यह जहां तक जाती हैं और इनको जहां तक ग्रहण और ज्ञान होता है, सब माया है. संतमत सत्संग में संतो का जमावड़ा लगा हुआ है. श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या आसपास के गांवों से श्रद्धालु व भक्त पहुंच रहे हैं.
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