पटना. नीतीश सरकार ने हर मोर्चा पर नये आयाम स्थापित किये हैं लेकिन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन केे बंदोबस्त में पूरे देश में सबसे लंबी लकीर खींची है. भूमि संबंधी रिकार्ड और नागरिक केंद्रित सेवाओं के डिजटिलीकरण में देश में पहला स्थान हासिल किया है. गजेटियर बनाया जा रहा है.
अंचल से लेकर जिला स्तर के राजस्व अधिकारियों के काम का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर कार्रवाई और पुरस्कार की परिपाटी शुरू की है. राजस्व कर्मियों की मनमानी खत्म करने को आनलाइन काम को बढ़ावा दिया जा रहा है.
आनलाइन म्यूटेशन, जमीन का नक्शा डाक से उपलब्ध कराने की जनपयोगी सुविधा देने में सफल रहा है. एक अप्रैल से रजिस्ट्री के साथ ही म्यूटेशन होने जा रहा है. गजेटियर कम एटलस ऑफ वाटर बॉडीज ऑफ बिहार में 50 हजार से अधिक तालाबों, नदी, नहरों, आहर, पइन की जानकारी दी गयी है. कई योजनाएं हैं जो आगामी वर्ष में पूरी हो जायेंगी और इससे जमीन संबंधी विवादों की संख्या न्यूनतम स्तर पर पहुंच जायेगी.
कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बिहार
कृषि क्षेत्र में राज्य ने उम्मीद से अधिक तरक्की की है. बजट का आकार 33 अरब 35 करोड़ 47 लाख 43 हजार है. खाद्यान्न में राज्य लगभग आत्मनिर्भर हो गया है. 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हैं. इनको अधिकांश सुविधाएं डीबीटी के जरिये आनलाइन उपलब्ध करायी जा रही हैं.
2005 – 06 से वर्तमान की तुलना करें तो चावल का 87.51, गेहूं 97.62 और मक्का के उत्पादन में 129.93 लाख मीटरिक टन की वृद्धि हुई है. बिहार को अब पीडीएस के लिये चावल बाहर से नहीं मंगाना पड़ा. चावल- मछली उत्पादन में बिहार आत्मनिर्भर हो चला है.
जलवायु अनकूल कृषि संबंधी विश्व स्तरीय कृषि तकनीक को स्थानीय स्तर पर लागू किया जा रहा है. कोरोना काल में किसानों को घर पर बीज पहुंचाने की योजना को केंद्र सरकार तक ने सराहा है. अनुदान- लाइसेंस प्रक्रिया आनलाइन हो चुकी है.
posted by ashish jha
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