पटना: राज्य के तीसरे कृषि रोड मैप की अवधि अगले साल मार्च में खत्म होगी. इसके बाद चौथा कृषि रोड मैप एक अप्रैल 2023 से लागू होगा. इसकी अवधि मार्च 2028 तक रहेगी. इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को इसकी समीक्षा की.
नये कृषि रोड मैप के फोकस एरिया में किया गया बदलाव
तीसरे कृषि रोड मैप से सीख लेते हुए नये कृषि रोड मैप में इसके फोकस एरिया में बदलाव किया गया है. बिहार अब गेहूं, धान और मक्का उत्पादन में सरप्लस होने वाले राज्यों में शामिल हो चुका है, इसलिए चौथे कृषि रोड मैप में दलहन, तेलहन, लेयर फार्मिंग, डेयरी और फिशरीज के अलावा मिलेट, कृषि विविधीकरण, जलवायु अनुकूल कृषि पर विशेष फोकस रहेगा.
कृषि उद्यमिता और यांत्रिकरण का विकास, फसल मांग आधारित बाजार व्यवस्था, समेकित कृषि प्रणाली, कोल्डस्टोरेज खोलने, निजी भंडारगृहों को प्रोत्साहन देने, रासायनिक उर्वरक का विकल्प और वैकल्पिक उद्यमों के समावेश पर भी जोर दिया जायेगा.
कृषि रोडमैप क्या है, इसे पहली बार कब लागू किया गया ?
बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और किसान जो हमारे अन्नदाता हैं उनके लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं. जिनमें कृषि रोड मैप सबसे प्रमुख है. बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है. यहां 76 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का 18 प्रतिशत योगदान है.
किसानों की आमदनी को बढ़ाने, फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए सरकार ने सकारात्मक कदम उठाए और इसके लिए वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप तैयार किया था. इसके सुचारु रूप से समायोजन के लिए 17 फरवरी 2008 को किसान पंचायत का आयोजन भी किया गया था.
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