यह चंद्रग्रहण आंशिक है लेकिन फिर भी इसे लेकर उत्साह बरकरार है. इसके बाद साल 2025 में चंद्रग्रहण नजर आयेगा. इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून भी कहा जा रहा है.
मंगलवार को पड़े ग्रहण के दौरान चांद तांबे के जैसा लाल हो गया था इसलिये इसे ब्लड मून भी कहा गया. राजधानी पटना में लोगों ने इसे देखने के लिए टेलीस्कोप का प्रयोग किया.
जो लोग इस चंद्र ग्रहण को देखने से चूक गये हैं अब वो मार्च 2025 को इसका दीदार कर सकते हैं. हालांकि साल 2023 और 2024 में भी आशिंक ग्रहण नजर आयेगा.
चंद्र ग्रहण के दौरान चांद धरती की छाया से होकर गुजरता है. जबकि सूरज पीछे हो जाता है. इसी खगोलीय घटना का चंद्र ग्रहण कहा जाता है.
बिहार में चंद्रग्रहण सबसे पहले किशनगंज जिला में नजर आया. यहां पौने पांच बजे के बाद से ही चंद्रग्रहण दिखाई देने लगा. राजधानी पटना में चंद्रग्रहण मंगलवार शाम 5.01 बजे शुरू हुआ और करीब 11 मिनट तक रहा.
साल का आखिरी चंद्रग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो गया था. मंगलवार सुबह से ही राज्य के प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे.
वैसे तो ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान कोई भी कार्य करने की मनाही होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान आसमान में देखने से बचे जाने की सलाह दी जाती है. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रग्रहण को खुली आंखों से देखा जा सकता है.
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