Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे चिराग, खुद किया खुलासा

Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने गुरुवार को बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि वह बिहार की राजनीति में आना चाहते हैं. क्योंकि बिहार को विकसित करना बहुत जरूरी है. हालांकि इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस बार का चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लीडरशीप में ही लड़ा जाएगा और वहीं मुख्यमंत्री बनेंगे.

By Prashant Tiwari | April 24, 2025 4:20 PM
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Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इस बात का खुलासा खुद उन्होंने किया है. बता दें कि चिराग प्रधानमंत्री मोदी के मधुबनी में आयोजित जनसभा में शामिल होने के लिए बिहार आए हैं. इससे कुछ दिनों पहले भी उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह बिहार की राजनीति में आना चाहते हैं क्योंकि उनका मन अब दिल्ली में नहीं लगता है. हालांकि इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस बार का चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लीडरशीप में ही लड़ा जाएगा और वहीं मुख्यमंत्री बनेंगे.

आतंकवाद के खात्मे का समय आ गया: चिराग

इस दौरान चिराग ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर कहा कि अब वक्त आ गया है कि आतंकवाद और उसके पालने वालों को खत्म किया जाए. हम लोगों ने बहुत सहनशीलता दिखा लिया. लेकिन अब चुप बैठने का कोई मतलब नहीं है.

आरक्षित सीटों पर नजर

चिराग पासवान हाजीपुर (एससी) संसदीय क्षेत्र से मौजूदा लोकसभा सांसद हैं. बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से अनुसूचित जाति समुदाय के लिए 38 आरक्षित सीटें और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए दो आरक्षित सीटें हैं. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से बड़ी मांग है कि चिराग को विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से ऐसे प्रस्ताव और सुझाव आ रहे हैं, जहां से हमारे अध्यक्ष को चुनाव लड़ना चाहिए.

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पीएम मोदी के अहम सहयोगी हैं चिराग

पांच सांसदों वाली लोजपा (रालोद) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एनडीए सरकार का एक प्रमुख घटक है. 2020 के राज्य विधानसभा चुनावों में जूनियर पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रालोद) ने अकेले 133 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल एक सीट पर जीत मिली थी. कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि लोजपा (रालोद) का अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) के खिलाफ बहुमत वाले उम्मीदवार दिए गए थे, शायद उन कारकों में से एक था, जो जदयू के खराब प्रदर्शन का कारण बना, जो केवल 43 सीटें जीतने में सफल रही.

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