Gaya Pitru Paksha 2022: फल्गु तट पर दूध-जल तर्पण, भगवान गदाधर को कराया पंचामृत स्नान, जानिए इसका रहस्य

Gaya Pitru Paksha 2022: विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत से स्नान कराकर पितरों की मुक्ति की कामना की गई. पौराणिक परंपराओं के अनुसार आश्विन कृष्ण त्रयोदशी त्रिपाक्षिक श्राद्ध के लिए दूध से तर्पण की तिथि है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2022 5:05 AM
an image

गया. पितरों की मोक्ष स्थली गयाजी धाम में पितृपक्ष मेले के आश्विन कृष्ण त्रयोदशी यानी शुक्रवार को फल्गु में दूध व जल से तर्पण करने व विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थित भगवान गदाधर को पंचामृत से स्नान कराने का विधान आदि काल से चला आ रहा है. इस विधान का निर्वहन पितृपक्ष मेले में आनेवाले सभी श्रद्धालु पूरी आस्था, श्रद्धा व निष्ठा के साथ आज भी कर रहे हैं. इस विधान के तहत शुक्रवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये दो लाख से अधिक पिंडदानियों ने अपने पितरों के उद्धार, मुक्ति व मोक्ष की कामना को लेकर फल्गु नदी में दूध व जल से तर्पण किया.

भगवान गदाधर जी को पंचामृत से स्नान

साथ ही विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत से स्नान कराकर पितरों की मुक्ति की कामना की. श्री विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि पौराणिक परंपराओं के अनुसार आश्विन कृष्ण त्रयोदशी त्रिपाक्षिक श्राद्ध के लिए दूध से तर्पण की तिथि है. इस परंपरा का निर्वहन करते हुए श्रद्धालुओं ने फल्गु तट पर दूध व जल से तर्पण किया. देव तर्पण चावल डालकर, ऋषि तर्पण जौ डालकर व पितृ तर्पण तिल डालकर किया. श्री पाठक ने बताया कि इस तिथि को 17 दिवसीय श्राद्ध में पिंडदान का विधान नहीं है.

‘शाम में पितृ दिवाली मनाया गया’

धार्मिक-आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार गया तीर्थ में किया हुआ जप-पाठ भी अक्षय हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस तिथि को शाम में पितृ दिवाली मनाया गया. श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर व फल्गु तट के घाटों पर दीप जलाकर पितृ दीपावली मनाया. श्री पाठक ने बताया कि 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक पितृपक्ष मेले के 15 वें दिन यानी 24 सितंबर को वैतरणी सरोवर के जल से तर्पण व गौ पूजन कर गौ दान करने का विधान है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version