H3N2 वायरस : बिहार सरकार ने रैपिड रिस्पॉन्स टीम सक्रिय रखने का दिया निर्देश, जानें इसके लक्षण
स्वास्थ्य विभाग ने इंफ्लुएंजा वायरस को लेकर राज्य के सभी अस्पतालों को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि अस्पतालों में आनेवाले दमा के मरीजों, फेफडे के संक्रमितों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की विशेष मॉनिटरिंग की जाये.
By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2023 11:53 PM
एच3एन2 इंफ्लूएंजा की रोकथाम के लिए पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने सिविल सर्जन को लगातार निगरानी रखने और सभी तरह की सतर्कता कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जारी हेल्थ एडवाइजरी का पालन सुनिश्चित करायी जाये. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, रेफरल अस्पतालों व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम को लगातार सक्रिय रखा जाये. अस्पतालों में आवश्यकता पड़ने पर रिजर्व बेड की व्यवस्था होनी चाहिए. डीएम ने सिविल सर्जन को इस बीमारी के लक्षणों व क्या करें, क्या ना करें का व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करने की बात कही.
एच3एन2 इंफ्लूएंजा के लक्षण
एक सप्ताह या इससे अधिक दिन तक बुख़ार,
बुखार तेज होना
खांसी काफी समय तक रहना
बलगम की परेशानी बढ़ना
नाक से पानी आना
सिर में दर्द रहना
उल्टी जैसा महसूस होना
भूख कम लगना
शरीर में दर्द रहना
गाइडलाइन का पालन जरूरी
जिला, मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ओपीडी व आइपीडी में इंफ्लूएंजा लाइक इल्नेस (आइएलआइ) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मरीजों पर नजर रखी जाये.
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के रैंडम सैंपल को पुष्टि के लिए आरएमआरआइ भेजा जाये.
आइएलआइ व सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मामलों की रिपोर्टिंग आइएचआइपी पर सुनिश्चित हो.
कोविड मरीजों के लिए चिह्नित आइसोलेशन वार्ड, आइसीयू को तैयार रखा जाये.
बीमारी व इसके रोकथाम के लिए प्रचार-प्रसार किया जाये.
खांसते और छीकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें.
हाथों को समय-समय पर पानी व साबुन से धोते रहें.
पानी, फ्रूट जूस या अन्य तरल पेय पदार्थ लिया जाये.
नाक और मुंह छूने से बचें.
बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल का सेवन करें.
सार्वजनिक स्थल पर न थूकें.
चिकित्सक की सलाह लिए बगैर एंटीबायोटिक्स नहीं लिया जाये.
स्वास्थ्य विभाग ने इंफ्लुएंजा वायरस को लेकर राज्य के सभी अस्पतालों को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि अस्पतालों में आनेवाले दमा के मरीजों, फेफडे के संक्रमितों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की विशेष मॉनिटरिंग की जाये. ये सभी इंफ्लुएंजा वायरस के रिस्क ग्रुप में आते हैं.