– फर्जी डॉक्टर, अवैध ऑपरेशन और किडनी तस्करी की आशंका, प्रशासनिक चुप्पी से ग्रामीणों में आक्रोश कोढ़ा फलका थाना क्षेत्र के बस्ती वार्ड 10 निवासी मोफील की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने कोढ़ा के गेड़ाबाड़ी स्थित एक निजी अस्पताल की कार्यप्रणाली व स्वास्थ्य विभाग की निगरानी प्रणाली को कठघरे में ला खड़ा किया है. आरोप है कि बिना पूर्ण जांच व अनुभवहीन चिकित्सकों द्वारा ऑपरेशन करने के कारण मोफील की तबीयत बिगड़ी और इलाज के अभाव में मौत हो गयी. परिजनों के अनुसार, हर्निया से पीड़ित मोफील आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे थे. तभी फलका की एक आशा ने सस्ते ऑपरेशन की बात कहकर उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया. 18 जुलाई को 13,000 में ऑपरेशन की सहमति बनी. पूर्णिया से आये डाक्टर ने ऑपरेशन शुरू किया लेकिन ऑपरेशन के दौरान गंभीर लापरवाही सामने आयी. बिना पूरी जांच के चीरा लगाया गया. फिर डॉक्टरों ने आंत सड़ने और किडनी जैसी कोई चीज नहीं होने की बात कहकर ऑपरेशन बंद कर दिया. इसके बाद बिना समुचित इलाज के ही मरीज को सदर अस्पताल पूर्णिया भेज दिया. जहां से मायागंज भागलपुर रेफर किया गया. आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार ने अंततः 19 जुलाई को मरीज को घर ले आये. जहां उसी दिन उनकी मौत हो गयी. परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि संभावित किडनी तस्करी जैसे संगीन अपराध की ओर इशारा करता है. वहीं आशा और उनके पति ने पहले अस्पताल और डॉक्टर का नाम छिपाया. बाद में माना कि ऑपरेशन बाहर से आये डॉक्टर ने किया था. फर्जी नर्सिंग होम का भंडाफोड़, सरकारी डॉक्टरों के नाम पर चल रहा था गोरखधंधा इस निजी अस्पताल पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. वहीं एक डॉक्टर का आरोप है कि उनके नाम का फर्जी इस्तेमाल कर इलाज किया जा रहा है. दूसरे अस्पताल जहां बच्चों काे भी भर्ती किया जा रहा है. वहां पर भी मेरे नाम की पर्ची का इस्तेमाल हो रहा है. चिकित्हसक ने कहा हम झारखंड में कार्यरत हैं. झारखंड से वापस आते ही सीएस और स्वास्थ्य मंत्री को लिखित आवेदन देकर मेरे नाम का फर्जी इस्तेमाल करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग करेंगे. इसके पहले भी मरीज से की गयी थी ठगी पूर्व में पूर्णिया के सरकारी डॉक्टर दंपती के नाम पर भी मरीजों से लाखों की ठगी की गयी थी. फलका के खोटा गांव की एक महिला को भर्ती कर 63,000 रुपये वसूले गये. विरोध करने पर परिजनों को बंधक बना लिया गया. जब उन्होंने सीधे संबंधित डॉक्टर से संपर्क किया तो सच्चाई सामने आयी थी कि उनका इस नर्सिंग होम से कोई लेना-देना नहीं था. सीएस ने कहा जांच के बाद होगी कार्रवाई प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमित आर्या ने स्वीकार किया कि इस हॉस्पिटल पर पूर्व में कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन यह फिर से अवैध रूप से संचालित हो रहा था. कटिहार के सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि यदि डॉक्टरों के नाम का फर्जी इस्तेमाल हुआ है, तो यह आपराधिक कृत्य है और जांच के बाद कड़ी कार्रवाई होगी. राजद नेता ने की कार्रवाई की मांग बिना रजिस्टर नंबर के अस्पताल और बच्चों का अस्पताल संचालित कैसे हो रहा है. अगर रजिस्टर नंबर है तो फिर इस तरह की लापरवाही कैसे कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही के कारण इस तरह की मौत हो रही है.राजद प्रखंड अध्यक्ष दीपक दास ने आरोप लगाया कि जिले में दर्जनों फर्जी नर्सिंग होम सक्रिय हैं. स्वास्थ्य विभाग की जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई है. उन्होंने पूरे जिले में विशेष अभियान चलाकर अवैध अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. लोग उठा रहे गंभीर सवाल न्यू जीवन ज्योति हॉस्पिटल के पास क्या वैध लाइसेंस था. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की डिग्री और अनुभव की जांच हुई. क्या आशा कार्यकर्ता की भूमिका केवल मरीज भेजने तक सीमित है या उन्होंने कमीशन के लिए जानबूझकर गलत सलाह दी. क्यों नहीं ऐसे अस्पतालों को पूरी तरह सील किया जाता, जबकि पहले भी उन पर कार्रवाई हो चुकी है.
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