– कोलकाता से प्रशिक्षित दो किसान बना रहे राखी, विभाग का दावा होगा बाजार उपलब्ध – एक हजार राखी बनाने का दिया गया जूट किसानों को लक्ष्य कटिहार सावन की पूर्णिमा के दिन होने वाला भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन त्यौहार है. रक्षा बंधन में बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रेशम की डोर बांधकर रक्षा सुरक्षा का जहां वचन लेती है. दूसरी ओर भाई भी क्षमता के अनुसार कई तरह की उपहार भेंट कर बहनों की रक्षा सुरक्षा जिम्मेवारी लेते हैं. रक्षा बंधन का त्यौहार इस वर्ष 09 अगस्त को हैं. राखी क्रय को लेकर अभी से ही बाजार में चहलकदमी बढ़ गयी है. इन सब के बीच इस वर्ष भी जूट की रेशा से बनी राखी बहनाें के लिए अनोखा साबित होगी. ऐसा इसलिए कि इस बार जूट की राखी पूरे राज्य में केवल कटिहार में ही बनाये जा रहे हैं. इस रक्षा बंधन पर बहना भाई की कलाई पर जूट की राखी बांधकर अपने प्रेम को अटूट करेंगी. ऐसा इसलिए कि जूट की रेशा से राखी बनाने का कार्य दलन पूरब पंचायत के किसान रविशंकर श्रवणे, पंकज कुमार की टीम द्वारा किया जा रहा है. मालूम हो कि कटिहार कभी जूट की नगरी के नाम से जाना जाता था. जूट की खेती कम होने व शहर से जूट मिल बंद होने के कारण धीरे धीरे इसकी खेती गुम होती जा रही है. पिछले दो वर्षों से राखी बनाकर एक ओर दोनों किसानों की ओर से जूट को लेकर नया प्रयोग किया जा रहा है. यह प्रयोग धीरे धीरे सफल भी होता जा रहा है. जूट की राखी पिछले वर्ष भी अपना रंग जमाने में जहां सफल रहा. इस वर्ष पूरी धमक के साथ बाजार में उतारने की तैयारी में लगे हुए हैं. कोलकता से प्रशिक्षण लेकर कटिहार आये दोनाें किसान जूट की राखी बनाने में जुटे हुए हैं. साथ ही दस से पन्द्रह किसानों को ये लोग प्रशिक्षण दे कर इस क्षेत्र में दक्ष बनाने का कार्य कर रहे हैं. जूट की राखी प्राकृतिक होने की वजह से नहीं होता साइड इफेक्ट दलन पूरब पंचायत के किसान रविशंकर श्रवणे, पंकज कुमार व उनकी टीम द्वारा घर पर ही राखी बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. इनलोगों का कहना है कि इस वर्ष करीब पांच सौ जूट की राखी बनाने का लक्ष्य है. अब तक तीन सौ राखी तैयार कर चुके हैं. जिसमें एक सौ डीआरसी ब्लिडिंग में एक दिन पूर्व लगे आकांक्षा हाट में एक सौ राखी का बिक्री कर लिये हैं. किसानों ने बताया कि डीएम व डीएओ के प्ररेणा पर राखी बनाने का कार्य इस वर्ष शुरू किये हैं. राखी बना रहे किसानों की माने तो जूट की राखी प्राकृतिक रहने से इसे बांधने से किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होती है. एक हजार राखी बनाने का दिया गया है लक्ष्य आत्मा शासी परिषद की 29 जुलाई को बैठक हुई थी. जिलाधिकारी का निर्देश था कि आत्मा के द्वारा प्रशिक्षण लेकर आते हैं. यहां उसे बनाया जाये और बने सामानों का जहां भी सरकारी स्तर पर स्टॉल लगाया जाता है. वहां पर प्रदर्शन किया जाये. जिला स्तर के पदाधिकारी खरीदें. एक हजार राखी बनाने का लक्ष्य दिया गया है. उसको बाजार उपलब्ध करायेंगे. कृषि परिवार से राखी खरीदने के लिए आग्रह किया गया है. सरकारी सहायता के लिए इन किसानों को प्रशिक्षण नि:शुल्क दिया जाता है. मिथिलेश कुमार, जिलाकृषि पदाधिकारी, कटिहार ,
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