कुरसेला कोसी, गंगा नदियों के तेवर नरम पड़ने से बाढ़ का फैलाव स्थिर हो गया है. पिछले सप्ताह से कोसी, गंगा के जलस्तर में वृद्वि बनी हुई थी. निचले भूभाग में बाढ़ का तेजी से फैलाव बना हुआ था. जलस्तर में उतार चढ़ाव के बावजूद क्षेत्र में बाढ़ संकट का खतरा यथावत बना हुआ है. माना जा रहा है कि नदियों का जलस्तर कभी उफान पर आ सकता है. फिलवक्त निचले व तटीय क्षेत्र का भूभाग जलमग्न बना हुआ है. क्षेत्र के अनेकों गांवों को बाढ़ ने घेर रखा है. मौसमी नदियां बाढ़ से लबालब हो चुकी है. 15 अगस्त तक क्षेत्र का गांव बाढ़ के चपेट में आ सकता है. कुरसेला में कोसी नदी का जलस्तर खतरा निशान के उपर उच्चतम बाढ़ निशान की ओर बना हुआ है. नदी का जलस्तर फिलहाल स्थिर बना हुआ है. गंगा नदी के बाढ़ में कमोवेश यही स्थिति कायम है. बाढ़ संकट को लेकर लोग सहमे हुये है. क्षेत्र के किसान बाढ़ से धान फसल सुरक्षा को लेकर चिंतित हो उठे है. बाढ़ का उफान बढ़ने से क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ में लगे धान की खेती डूब कर बर्बाद हो सकती है. इस आशंका को लेकर किसानों के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खींच आयी है. क्षेत्र के किसानों का मक्का के बाद धान अहम फसल है. विगत के वर्षों में बाढ़ से किसानों को धान फसल क्षति का दंश झेलना पड़ा है. जिस आशंका ने किसानों के बैचेनी का बढ़ा रखा है. जानकारों का मनाना है कि नदियों के बाढ़ ने क्षेत्र में संकट का संकेत दे दिया है. कुरसेला प्रखंड क्षेत्र में गंगा नदी का बाढ़ अक्सर तबाही लाने का कार्य करता है. गंगा नदी के जलस्तर में कमी बने रहने से कोसी नदी का बाढ़ क्षेत्र को अधिक प्रभावित नहीं कर पाता है. अमुनन ऐसा पाया गया है कि गंगा और कोसी नदी का उफान एक साथ बढ़ जाता है. जिससे बाढ़ की स्थिति विकट हो जाती है.
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