मात्स्यिकी शिक्षा एवं अनुसंधान को मिलेगा आयाम

मात्स्यिकी शिक्षा एवं अनुसंधान को मिलेगा आयाम

By AWADHESH KUMAR | June 8, 2025 11:53 PM
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पहाड़कट्टा. थाईलैंड के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त खाद्य प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एवं इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन सीफूड साइंस एंड इनोवेशन, प्रिंस ऑफ सोंगक्ला विश्वविद्यालय, थाईलैंड के निदेशक प्रो सुट्टावट बेंजाकुल मात्स्यिकी महाविद्यालय अर्राबाड़ी पहुंचे. जहां महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ वीपी सैनी ने उनका पुष्पगुच्छ, मिथिला शॉल, पाग एवं मधुबनी पेंटिंग भेंट कर स्वागत किया. बता दें कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ इंद्रजीत सिंह के निर्देश एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ सैनी के नेतृत्व में संपन्न हुआ. अपने संबोधन में डॉ सैनी ने प्रो बेंजाकुल की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि उनके नाम एक हजार से अधिक शोध पत्र एवं 48 हजार से अधिक शोध उद्धरण हैं, जो उनके गहन शैक्षणिक योगदान और मार्गदर्शन का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि यह दौरा भारत और थाईलैंड के बीच मत्स्यिकी शिक्षा एवं अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करेगा. अपने उद्बोधन में प्रो बेंजाकुल ने मत्स्य प्रसंस्करण उद्योग से उत्पन्न उप-उत्पादों के पूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे प्रोसेसिंग यूनिट्स की आय में वृद्धि संभव है. उन्होंने जैव सक्रियता युक्त न्यूट्रास्यूटिकल्स जैसे उच्च मूल्य वाले नवाचारों के विकास की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला. प्रो बेंजाकुल ने मत्स्य संसाधनों के अधिकतम और सतत दोहन पर जोर दिया,ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर पोषण लाभ मिल सके और मत्स्य क्षेत्र दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बन सके. उनकी उपस्थिति में जलवायु अनुकूलन, मूल्य वर्धन, खाद्य सुरक्षा और स्थिरता जैसे वैश्विक मुद्दों पर संयुक्त शोध सहयोग की संभावनाओं पर गंभीर चर्चा हुई. महाविद्यालय की प्रयोगशालाओं का निरीक्षण करते हुए उन्होंने वहां चल रहे अनुसंधान कार्यों की सराहना की और शिक्षकों एवं छात्रों से संवाद कर संतोष व्यक्त किया.उन्होंने भारत-थाईलैंड के बीच छात्रों की अदला-बदली, संयुक्त शोध परियोजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए द्वार खोलने की प्रतिबद्धता भी जताई.कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ ममता ने किया,जबकि आयोजन को सफल बनाने में डॉ अभिषेक ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही. डॉ सैनी ने आशा व्यक्त की कि प्रो बेंजाकुल का यह दौरा भारत और बिहार की ब्लू इकोनॉमी रणनीति को मजबूती प्रदान करेगा तथा नवाचार आधारित मत्स्य विकास की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित होगा.

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