विश्व जनसंख्या दिवस पर कार्यशाला आयोजित, जिले में जन्मदर को नियंत्रित करने पर हुई चर्चा

ऐसे में परिवार नियोजन केवल एक चिकित्सा या सरकारी विषय नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बनना आवश्यक हो गया है.

By AWADHESH KUMAR | July 11, 2025 7:50 PM
feature

किशनगंज बढ़ती जनसंख्या देशभर की समस्या है, लेकिन सीमावर्ती और कम संसाधन वाले जिलों के लिए यह चुनौती कई गुना गंभीर हो जाती है. जिले में कुल प्रजनन दर बिहार औसत से अधिक है. यहां परिवार नियोजन अपनाने की दर कम है और विशेषकर पुरुष सहभागिता लगभग नगण्य है. इसका परिणाम यह है कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव, अत्यधिक विद्यालय भार, रोजगार की कमी, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में वृद्धि और महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य में गिरावट साफ देखने को मिल रही है.ऐसे में परिवार नियोजन केवल एक चिकित्सा या सरकारी विषय नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बनना आवश्यक हो गया है.इसी कड़ी में आज सिविल सर्जन कार्यालय परिसर में विश्व जनसंख्या स्थिरता दिवस के अवसर पर एक जिला स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

पुरुष सहभागिता जरूरी, नसबंदी अपनाएं: डा चौधरी

सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने कार्यक्रम में कहा कि किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिले में स्वास्थ्य संसाधन सीमित हैं. बढ़ती आबादी हमारे अस्पतालों पर दबाव डाल रही है. इस भीड़ को घटाने का रास्ता केवल परिवार नियोजन है. खासकर पुरुषों को नसबंदी जैसे विकल्पों को अपनाने के लिए आगे आना होगा, क्योंकि यह एक सुरक्षित, सरल और जिम्मेदार निर्णय है.

महिलाओं पर न डालें पूरी जिम्मेदारी: डा अनवर

उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने कहा कि हम देख रहे हैं कि अधिकतर महिलाएं ही गर्भनिरोधक साधन इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि पुरुषों की भागीदारी बेहद कम है. यह असमानता महिलाओं की सेहत पर सीधा असर डालती है. पुरुष नसबंदी को लेकर डर और भ्रांति मिटानी होगी. यह ज़रूरी है ताकि महिलाएं बार-बार गर्भधारण की शारीरिक पीड़ा से बच सकें.

ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी की कमी बड़ी बाधा: डा देवेंद्र

कार्यक्रम में डॉ देवेंद्र कुमार ने कहा कि किशनगंज में कई पंचायतों में आज भी गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं है. अंतरा, छाया जैसी अस्थायी विधियां महिलाओं को यह विकल्प देती हैं कि वे अपने स्वास्थ्य के अनुसार निर्णय लें. अगर सही जानकारी हर घर तक पहुंचे तो जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लग सकता है.

लगातार गर्भधारण से बीमारियों का खतरा: डा उर्मिला

डॉ उर्मिला कुमारी ने कहा कि हमारी गैर संचारी बीमारियों की यूनिट में बड़ी संख्या में महिलाएं हाई बीपी, डायबिटीज और एनीमिया से पीड़ित होती हैं, जिनका सीधा संबंध अंतराल रहित गर्भधारण से है. परिवार नियोजन अपनाने से महिलाओं को यह समय मिलता है कि वे खुद को फिर से स्वस्थ कर सकें.

मीडिया से अपील: योजना को जनआंदोलन में बदलें

सभी अधिकारियों ने मीडिया को धन्यवाद देते हुए उनसे अपील की कि वे इस मुहिम को गांव-गांव, टोला-टोला तक पहुंचाने में मदद करें.सिविल सर्जन ने कहा कि जब मीडिया जिम्मेदारी से संदेश देता है, तो वह झिझक को खत्म करता है और भरोसा जगाता है. हम चाहते हैं कि हर नागरिक को यह लगे कि परिवार नियोजन उसका अधिकार है और यह निर्णय सम्मानजनक है.किशनगंज में परिवार नियोजन एक चुनौती नहीं, अवसर है – समाज को स्वस्थ, सशक्त और स्थिर बनाने का.जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर नि:शुल्क नसबंदी, कॉपर-टी, अंतरा, गोलियां व परामर्श उपलब्ध हैं. हर योग्य दंपति आगे आए और “छोटा परिवार, बड़ा सुख ” को साकार करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

यहां किशनगंज न्यूज़ (Kishanganj News) , किशनगंज हिंदी समाचार (Kishanganj News in Hindi), ताज़ा किशनगंज समाचार (Latest Kishanganj Samachar), किशनगंज पॉलिटिक्स न्यूज़ (Kishanganj Politics News), किशनगंज एजुकेशन न्यूज़ (Kishanganj Education News), किशनगंज मौसम न्यूज़ (Kishanganj Weather News) और किशनगंज क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version