लोकसभा चुनाव: बिहार में कहीं सीट बचाने की, तो कहीं टिकट पाने की जद्दोजहद

लोकसभा चुनाव सिर पर है. किसी भी दिन चुनाव आयोग इसकी घोषणा कर सकता है. राजनीतिक दल भले ही चुनावी जंग के लिए अपने को तैयार होने का दावा कर रहे हों, पर वास्तविकता यही है कि अधिकतर दलों में उम्मीदवारी तय नहीं हो पायी है.

By Anand Shekhar | March 10, 2024 1:46 PM
feature

लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे का फार्मूला नहीं बन पाया है. दाेनों ही दलों में सीट बचाने और खाता खुलने को लेकर जद्दोजहद है. एनडीए में शामिल उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी को लोकसभा की चौखट तक पहुंचने की चुनौती है. वहीं लोजपा के दोनों धड़ों में हाजीपुर के साथ ही अधिक से अधिक सीटें झटक लेने की होड़ मची है. महागठबंधन में कांग्रेस को अपनी इकलौती किशनगंज की सीट बचाने के लिए जमीन आसमान एक करना पड़ रहा है. वहीं राजद, भाकपा माले और सीपीआइ तथा सीपीएम को इस बार के चुनाव में लोकसभा पहुंचने की उम्मीद दिख रही है.दूसरी ओर एनडीए में भी सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं हो पायी है.

लोकसभा चुनाव को लेकर जदयू में अपनी सीटिंग सीटों को लेकर सहमति

एनडीए के भीतर भाजपा अपनी जीती हुई सभी 17 सीटों पर दावेदारी जताते हुए तीन-तीन संभावित उम्मीदवारों के नाम की सूची राष्ट्रीय नेताओं को सौंप दी है. वहीं जदयू के भीतर अपनी सीटिंग सीटों को लेकर आंतरिक सहमति बन चुकी है. जदयू अपनी सीटिंग सीटों पर समझौता नहीं होने की बात कह रहा है. मसला जीतन राम मांझी की हम, उपेंद्र कुशवाहा रालोजद और लोजपा के दोनों धड़ों के बीच फंसता नजर आ रहा है.

इस कारण भाजपा की पहली सूची में बिहार से एक भी नाम की घोषणा नहीं हो पाया. भाजपा अपनी सीटिंग सीटों के अलावा और भी सीटें चाहती हैं. पार्टी इस बार अतिपिछड़ी जाति में कुम्हार, धानुक जैसी उन जातियों को फोकस करने जा रही है, जिनकी अबतक भागीदारी नहीं हो पायी है.

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीती थी एक सीट

दूसरी ओर महागठबंधन में जदयू के निकल जाने से सीटों की भरमार हो गयी है. इस बार वाम दल सीटों के मामले में कांग्रेस पर भारी पड़ते दिख रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसके एक मात्र किशनगंज में डा जावेद चुनाव जीत पाये थे. जबकि राजद, भाकपा माले, सीपीआइ और सीपीएम का खाता भी नहीं खुल पाया था. जानकार बताते हैं कि, भाकपा माले भी कांग्रेस के बराबर सीटें मांग रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बिहार की सीमा से लगी झारखंड की कोडरमा सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की घोषणा की है.

माकपा चार, भाकपा-माले नौ और भाकपा नौ सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार

भाकपा-माले, भाकपा और माकपा की मानें, तो राज्य की चालीस सीटों में अकेले वाम दलों ने 22 पर दावा ठोका है. जमीनी ताकत देखी जाये तो विधानसभा में भाकपा माले के 12 विधायक हैं. भाकपा के दो और माकपा के दो विधायक हैं. इसकी तुलना में भाकपा माले ने नौ सीटों पर दावा किया है.जबकि माकपा चार और भाकपा नौ सीटों पर दावा कर रही है. वहीं, तीनों दलों ने अपनी-अपनी पसंद की सीटों का लिस्ट महागठबंधन को सौंप दिया है. उम्मीद की जा रही कि 10 मार्च के बाद किसी भी दिन इंडिया गठबंधन एक साथ सीटों का एलान कर देगा.तीन मार्च की महारैली के बाद वामदल ने बढ़ायी दावेदारी

बिहार में तीन मार्च को महागठबंधन की महारैली का आयोजन गांधी मैदान में हुआ, जिसमें वामदल के कार्याकर्ताओं ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और रैली की सफलता का श्रेय भी ले रही है. वहीं, वामदल का मानना है कि महागठबंधन से जदयू बाहर हो गया है और कांग्रेस का जितना जनाधार बिहार में है. उसके मुकाबले में वामदल काफी ताकतवर है. इस कारण से सीटों का बंटवारा सम्मानजन किया जाये और उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिले. वहीं, 2019 में भाकपा माले का राजद के साथ समझौता था. उसे आरा की सीट दी गयी थी. जबकि सीवान, जहानाबाद, काराकाट पर उन्होंने खुद अपने बूते पर उम्मीदवार चुनाव मैदान उतारा था.

वहीं माकपा उजियारपुर की सीट पर चुनाव लड़ी थी.भाकपा ने बेगूसराय की सीट पर कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाया था.इसके अलावा पूर्वी चंपारण की सीट पर भी उसके उम्मीदवार थे.इन 22 लोकसभा सीटों की मांग करेंगे वामदल के नेतामाकपा ने उजियारपुर, खगड़िया, समस्तीपुर , महाराजगंज सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. भाकपा बांका, बेगूसराय, भागलपुर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, बक्सर, नालंदा, पटना साहेब और मुंगेर सीट की मांग की है. भाकपा-माले सीवान, आरा, काराकाट, जहानाबाद, पाटलिपुत्र, कटिहार, बाल्मिकीनगर, बक्सर और समस्तीपुर सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है.

Also Read : बिहार में 16 कारणों से वोटर नहीं करते हैं मतदान

Also Read : बेगूसराय सीट पर इस बार भी एनडीए व महागठबंधन के बीच घमासान

जारी है सीमांचल में क्षत्रपों के बीच नूरा कुश्ती

अजीत, भागलपुर. सीमांचल में शक्ति प्रदर्शन का खेल जारी है. चार लोकसभा सीटों पर एनडीए व महागठबंधन में प्रत्याशियों की लंबी लिस्ट है. पार्टियों का शक्ति प्रदर्शन भी जारी है. इस बीच एआइएमआइएम ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. दूसरी ओर जाप सुप्रीमो पप्पू यादव भी पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में सीमांचल की राजनीति में तीसरे कोण का उभरना तय माना जा रहा है. पप्पू यादव की पूर्णिया में शनिवार को रैली के बहाने शक्ति प्रदर्शन है. रैली में कोसी व सीमांचल के सभी जिलों के कार्यकर्ता शामिल होंगे. वैसे, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पप्पू यादव ने घोषणा तो की है, लेकिन कांग्रेस से टिकट के लिए भी उनका प्रयास जारी है. फिलहाल किस दल के खाते में कौन सीट जायेगी, यह तय नहीं है. यही कारण है कि सभी दलों में दावेदारों की एक लंबी कतार है. ऐसे में अंदर ही अंदर सीमांचल के क्षत्रपों के बीच नूरा कुश्ती चल रही है.

सीमांचल की चार लोकसभा सीटों में तीन सीटों पर एनडीए, तो एक सीट पर महागठबंधन का कब्जा है. कटिहार में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी, पूर्णिया में जदयू के संतोष कुशवाहा, अररिया में भाजपा के प्रदीप सिंह व किशनगंज सीट से कांग्रेस के डॉ जावेद सांसद हैं. हालांकि, दोनों गठबंधनों में फिलहाल यह तय नहीं है कि कौन सीट किस पार्टी के खाते में जायेगी. ऐसे में सभी दलों के अंदर भी जोर-आजमाइश जारी है. पटना से दिल्ली तक दौड़ चल रही है. खुल कर नहीं, लेकिन क्षेत्र में यह दावा जरूर कर रहे हैं कि उनका टिकट इस बार तय है. इस हिसाब से दौरा भी चल रहा है. ऐसे में जानकारों की मानें, तो दावेदारों की लंबी कतार होने से टिकट घोषणा के बाद भितरघात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

महागठबंधन खेमे में एआइएमआइएम के सभी सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद बेचैनी है. चुनाव लड़ने की घोषणा से अल्पसंख्यक मतों में विभाजन तय माना जाता है. क्षेत्र के कई चर्चित चेहरे भी टिकट पाने की जुगत में हैं. ऐसे में दिलचस्प यह होगा कि प्रत्याशी कौन होता है. वैसे कांग्रेस व राजद दोनों एआइएमआइएम की मौजूदगी को नकारती है. कांग्रेस का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी किशनगंज सीट से एआइएमआइएम ने प्रत्याशी उतारा, लेकिन कांग्रेस ने जीत दर्ज की. लेकिन, राजनीतिक समीक्षकों की मानें, तो असर जोरदार दिखेगा.

Also Read : नील के लिए आंदोलन करने वाले पूर्वी चंपारण में बंद चीनी मिल, पटना से सीधी रेल कनेक्टिविटी बड़ा मुद्दा

Also read : लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की भागीदारी से भाजपा-जदयू बिखर जायेगा : ललन चौधरी


संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version